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Lekshmana Chandra Victoria Gowri: कौन हैं वकील चंद्र विक्टोरिया गौरी, जिनको जज बनाने की कॉलेजियम की सिफारिश पर बरपा है हंगामा

Lekshmana Chandra Victoria Gowri: एडवोकेट लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मद्रास हाई कोर्ट में जज के रूप में नामित किया है. बार काउंसिल के एक ग्रुप ने इस सिफारिश को न्यायपालिका की स्वतंत्रता के खिलाफ बताया है. वकीलों का मानना है कि गौरी के विचार संवैधानिक मूल्यों से काफी अलग हैं.

Lekshmana Chandra Victoria Gowri Lekshmana Chandra Victoria Gowri
हाइलाइट्स
  • गौरी की पॉलिटिकल एफिलिएशन पर उठे सवाल

  • कई वकीलों ने किया है विरोध 

एडवोकेट लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी सुर्खियों में हैं. दरअसल, उन्हें सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मद्रास हाई कोर्ट में जज के रूप में नामित किया है. लेकिन, इस खबर के बाद से ही बवाल मच गया है. बार काउंसिल के एक ग्रुप ने इस सिफारिश को न्यायपालिका की स्वतंत्रता के खिलाफ बताया है. वकीलों का मानना है कि गौरी के विचार संवैधानिक मूल्यों से काफी अलग हैं. उन्होंने गौरी की धार्मिक कट्टरता को लेकर आपत्ति दर्ज की है. साथ ही कहा है कि गौरी हाई कोर्ट की न्यायाधीश के रूप में अयोग्य हैं.

वकीलों ने लिखा है पत्र 

आपको बताते चलें कि वकीलों ने इसके लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को पत्र भी लिखा है. उनका कहना है कि गौरी बीजेपी की महिला मोर्चा की महासचिव हैं. साथ ही पत्र में कहा गया है कि इस तरह की नियुक्तियां न्यायपालिका को कमजोर कर सकती हैं. इसलिए ये जरूरी है कि संस्थान को अपनी प्रशासनिक कार्रवाई को कमजोर होने से बचाया जाए.

गौरी की पॉलिटिकल एफिलिएशन पर उठे सवाल

दरअसल, विक्टोरिया गौरी को वकालत में 21 साल का अनुभव है. 1973 में तमिलनाडु के नागरकोइल में जन्मीं गौरी ने इसे लेकर द इंडियन एक्सप्रेस से भी बात की है. 22 जनवरी को द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए गौरी ने कहा था कि उन्होंने बीजेपी के सभी पदों से जून 2020 में इस्तीफा दे दिया है. सहायक सॉलिसिटर जनरल बनने के बाद वे पार्टी के सभी पदों और सदस्यता से मुक्त हो गई थीं. कुछ रिपोर्ट के मुताबिक, गौरी की ट्वीटर प्रोफाइल पर चौकीदार विक्टोरिया गौरी लिखा है. हालांकि, गौरी का एकाउंट अब एक्टिव नहीं है.  

गौरी की ट्वीटर प्रोफाइल
गौरी की ट्वीटर प्रोफाइल

बताते चलें कि गौरी उन 17 एडवोकेट्स और तीन न्यायिक अधिकारियों में से एक हैं, जिन्हें भारत के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए सिफारिश की गई थी.

इस्लाम को बताया हरा आतंक

बताते चलें कि वकीलों ने इसके लिए आरएसएस द्वारा होस्ट किए गए यूट्यूब चैनल पर गौरी के दो इंटरव्यू का का हवाला दिया है. एक इंटरव्यू में राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति के लिए अधिक खतरा? जिहाद या ईसाई मिशनरी? नाम के विषय पर बातचीत की गई है. ये यूट्यूब पर 27 फरवरी, 2018 को अपलोड किया गया था. इसमें गौरी ने ईसाइयों के खिलाफ एक चौंकाने वाली बात कही है. साथ ही इस्लाम को हरा आतंक बताया है. वहीं ईसाई धर्म को सफेद आतंक बताया है. 

गौरी इंटरव्यू में कहती हैं, “विश्व स्तर पर, मैं ईसाई समूह को इस्लामी समूह की तुलना में कम खतरनाक मानती हूं. लेकिन जहां तक ​​भारत की बात है, मैं कहना चाहूंगी कि ईसाई समूह इस्लामिक समूहों से ज्यादा खतरनाक हैं. धर्म परिवर्तन खासकर लव जिहाद के मामले में दोनों समान रूप से खतरनाक हैं. मुझे कोई आपत्ति नहीं है कि एक हिंदू लड़के की शादी मुस्लिम लड़की से हो रही है या एक हिंदू लड़की की शादी मुस्लिम लड़के से, जब तक वे एक दूसरे से प्यार करते हैं. लेकिन अगर मैं अपनी लड़की की बात करूं या मुझे मेरी लड़की सीरियाई आतंकवादी शिविरों में मिलती है, तो मुझे आपत्ति है, और इसे ही मैं लव जिहाद के रूप में परिभाषित करती हूं.

वहीं दूसरे इंटरव्यू में भी विक्टोरिया गौरी ने ईसाई मिशनरियों पर निशाना साधा है. जिसमें अभद्र भाषा फैलाने और सांप्रदायिक कलह/हिंसा भड़काने की संभावना है.

कई वकीलों ने किया है विरोध 

इस पत्र पर एनजीआर प्रसाद, आर वैगई, अन्ना मैथ्यू, डी नागासैला, वी सुरेश, टी मोहन और सुधा रामलिंगम सहित वरिष्ठ वकीलों समेत बाईस वकीलों ने हस्ताक्षर किए हैं. अभद्र भाषा के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की पहल का हवाला देते हुए, वकीलों ने कहा, “यह विडंबना है कि कॉलेजियम को एक ऐसे व्यक्ति की सिफारिश करनी चाहिए जिसने अपने सार्वजनिक बयानों के माध्यम से नफरत फैलाकर अपने करियर को आगे बढ़ाया है. इस सिफारिश को और कुछ नहीं बल्कि भारतीय संविधान के साथ विश्वासघात और नफरत भरे भाषणों को खत्म करने की वैश्विक प्रतिबद्धता के रूप में देखा जाएगा.