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Waterlogging in Delhi: दिल्ली में जलभराव, कौन है जिम्मेदार? जानिए सारी एजेंसियों की जिम्मेदारी

दिल्ली जैसे शहर में कई सारी एजेंसियों के ऊपर नालों और सीवर की साफ सफाई का जिम्मा है. ऐसी लगभग आधा दर्जन एजेंसियां हैं जो दिल्ली की सड़कों पर पानी ना भरे इसके लिए जिम्मेदार हैं

Waterlogging in Delhi Waterlogging in Delhi

दिल्ली देश की राजधानी है और हर साल पहली ही बारिश में दिल्ली डूब जाती है. ये हाल तब है जब दिल्ली में मॉनसून की तैयारी साल के शुरू होते ही यानी 6 महीने पहले से की जाती है. दिल्ली जैसे शहर में कई सारी एजेंसियों के ऊपर नालों और सीवर की साफ सफाई का जिम्मा है. ऐसी लगभग आधा दर्जन एजेंसियां हैं जो दिल्ली की सड़कों पर पानी ना भरे इसके लिए जिम्मेदार हैं. इन एजेंसियों में दिल्ली नगर निगम यानी एमसीडी, नई दिल्ली नगर परिषद यानी एनडीएमसी के साथ ही पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (पीडब्ल्यूडी), दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली विकास प्रधिकरण (डीडीए) और बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई विभाग शामिल हैं. 

दिल्ली नगर निगम (MCD)
दिल्ली में क्षेत्रफल के हिसाब से लगभग 96% और आबादी के हिसाब से लगभग 98% हिस्से में साफ सफाई की जिम्मेदारी एमसीडी के पास है. कूड़ा उठाने से लेकर उनके निपटारे का काम नगर निगम देखता है. 60 फीट से कम चौड़ी सड़कों के साथ बनी नालियों की सफाई का काम भी इसी के जिम्मे आता है. यानी खास तौर पर कॉलनियों के अंदर अगर नालियां जाम हो रहीं हैं और पानी नहीं निकल पा रहा तो इसमें साफ-साफ एमसीडी की लापरवाही है.

एमसीडी का यूं तो सालाना बजट 17 हज़ार करोड़ से ऊपर है जिसमें सिर्फ मॉनसून को लेकर नालियों की सफाई के लिए इस साल 36 करोड़ रुपए आवंटित किए गए जो रूटीन साफ-सफाई से हट कर है. रोचक पहलू ये है कि मॉनसून आने तक भी नगर निगम ने अपने ही आंकड़ों के मुताबिक लगभग 25 फीसदी यानी एक चौथाई नालों की सफाई पूरी नहीं की थी.

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लोक कल्याण विभाग (PWD) 
एमसीडी अगर छोटे नालों की सफाई का काम देखती है तो बड़े नालों की सफाई पीडब्ल्यूडी के अंदर आता है. दिल्ली की लगभग सभी मुख्य सड़कों में साफ-सफाई इसी एजेंसी के जिम्मे आता है. चाहे वो रिंग रोड हो या फिर आईटीओ या मिंटो रोड जैसी जगहें जहां हर साल जल भराव की तस्वीरें काफी आम हैं. 

दिल्ली में नई सरकार बनते ही मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा समेत तमाम सरकारी अमला सड़कों पर इसी बात को सुनिश्चित करने में लगा था कि इस साल जलभराव नहीं हो. दिल्ली की जिन सड़कों पर नालों का रखरखाव इस एजेंसी के जिम्मे है. इसके अंदर 1259 किलोमीटर की सड़कें आतीं हैं. 

दिल्ली जल बोर्ड
दिल्ली जल बोर्ड के जिम्मे दिल्ली की पूरी सीवर व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी है. इस साल सीवेज सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए दिल्ली के बजट में लगभग 450 करोड़ का आवंटन मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने किया. कई सारी जगहों पर नालों की सफाई के बावजूद सीवर जाम होने से भी पानी ओवर फ्लो होकर सड़कों पर आता है.

दिल्ली के कई इलाकों में दिक्कत ये है कि सीवर लाइन दशकों पुरानी है और ज़मीन के अंदर डाली गई है जो मौजूदा आबादी के हिसाब से बोझ उठाने के लिए पर्याप्त नहीं है. दिल्ली सरकार ने इस परेशानी से जूझने के लिए 2014 में ही अगले दो दशकों का मास्टरप्लान तो बनाया लेकिन 11 साल बीत जाने के बाद भी ये मास्टरप्लान अमल में नहीं आ सका है.

सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग
दिल्ली के वे सभी बड़े नाले जो सीधे यमुना में मिलते हैं उनको साफ करने की जिम्मेदारी सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग की है. इसमें नजफगढ नाला, शाहदरा नाला, कुशक नाला, बारापुला नाला जैसे बड़े नाले शामिल हैं. दिल्ली में हर साल फ्लड कंट्रोल ऑर्डर जारी किया जाता है जिसमें सभी संबंधित विभागों की मीटिंग मॉनसून से पहले होती है. इसमें खास तौर पर इन बड़े नालों की सफाई पर फोकस होता है ताकि यमुना के जल स्तर को नियंत्रित किया जाए.

इसके अलावा नई दिल्ली इलाके में एनडीएमसी नालों की साफ-सफाई करवाती है जो दिल्ली का सबसे पॉश इलाका है. पिछले दिनों इस इलाके में चल रहे कंस्ट्रक्शन की वज़ह से कई जगहों पर जलभराव की शिकायत आती है. इसी तरह से डीडीए भी अपने रख-रखाव वाले इलाकों में नालों की साफ-सफाई का काम देखता है जिसमें रोहिणी, सरिता विहार, द्वारका जैसे प्रमुख इलाके आते हैं.