Representative Image
Representative Image अगर आपको वडोडरा की इस सेंटर लाइब्रेरी से किसी किताब को ढूंढ़ने में दिक्कत हो रही है, तो इसके लिए आपको बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. इसके लिए आपको न तो किसी कंप्यूटर की मदद लेने की जरूरत पड़ेगी और न ही पुराने रिकॉर्ड में आपको इसे खोजने की जरूरत है.आपको सिर्फ 56 वर्षीय विजय राव के पास जाकर किताब का नाम बताना है और कुछ ही सेकेंड में वो किताब आपके पास होगी. विजय राव हाथ से इशारा करके आपको बता देंगे कि अलमारी में वो किसाब कहां रखी है.
काम के प्रति जुनून से मजबूत हुई याददाश्त
राव का रोज का काम है इन किताबों को अलमारी से निकालकर दोबारा से अच्छे तरीके से अलमारी में लगाना. राव कहते हैं,"मुझे यह भी याद है कि पाठक जिस पुस्तक की तलाश कर रहा है वह उपलब्ध है या स्टॉक में नहीं है. लोग मुझसे पूछते हैं कि मुझे इतनी सारी किताबों के नाम और पुस्तकालय में उनका सही स्थान कैसे याद है? मुझे लगता है कि वर्षों से प्राप्त अनुभव के अलावा काम के प्रति मेरे जुनून ने मेरी याददाश्त को मजबूत किया है.”
तीन लाख पुस्तकों का घर है लाइब्रेरी
इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि लोग राव से काफी प्रभावित होते हैं. केंद्रीय पुस्तकालय लगभग तीन लाख पुस्तकों का घर है. राव ने जब बताया कि वह सिर्फ 12 वीं पास है, तो कई लोगों को विश्वास नहीं हुआ. तरसाली निवासी राव याद करते हुए कहते हैं, “मैं पढ़ाई में बहुत कमजोर था. मैंने ग्रेजुएशन किया लेकिन परीक्षा में फेल हो गया इसलिए मैंने पढ़ाई छोड़कर कुछ-कुछ काम करना शुरू कर दिया. लगभग 12 साल पहले इस पुस्तकालय में मुझे नौकरी करने का अवसर मिला.
दिलचस्प बात यह है कि जब राव पढ़ाई कर रहे थे तब वह एक भी किताब नहीं पढ़ते थे, लेकिन आज वो विभिन्न अंग्रेजी, हिंदी और गुजराती किताबों के चलते फिरते इंसाइक्लोपीडिया (Encyclopedia)हैं.
दोस्त बुलाते हैं चलता-फिरता कंप्यूटर
राव कहते हैं,"मुझे किताबें उनके शीर्षक, लेखक का नाम, कवर पेज की तस्वीर और यहां तक कि रैक नंबर से याद हैं. कम्प्यूटराइजेशन अभी कुछ साल पहले आया था लेकिन मैंने किताबों को याद रखने की आदत विकसित की है जिसे मैं अभी भी बनाए रखता हूं." राव को उनके सहयोगी प्यार से चलता-फिरता कंप्यूटर कहते हैं. राव ने कहा, “मुझे अपने स्कूल के दौरान किताब पढ़ना बिल्कुल पसंद नहीं था और मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतनी किताबों के बीच रहूंगा और सांस लूंगा. मुझे अब पढ़ने की आदत हो गई है और मेरी पसंदीदा किताबें आध्यात्मिक हैं. ”
सेंट्रल लाइब्रेरी स्टेट लाइब्रेरियन, जे के चौधरी ने कहा, “राव की याददाश्त काफी अच्छी है. उन्हें हमारे पुस्तकालय में रखी गई लगभग हर पुस्तक का सटीक स्थान याद है और यह हमारे पाठकों के साथ-साथ कर्मचारियों के लिए भी बहुत मददगार है.”