scorecardresearch

Women Reservation Bill: इंतजार खत्म! लंबी बहस के बाद महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पास, पक्ष में 454 और विपक्ष में पड़े 2 वोट, जानें किसने क्या कहा

Discussion on Women's Reservation Bill in Lok Sabha: लोकसभा में 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' पास हो गया है. अब देश की निगाहें राज्यसभा पर लगी हुई हैं. राज्यसभा में गुरुवार को महिला आरक्षण बिल पेश किया जाएगा. लोकसभा में किसने और क्या कहा? यहां जानिए सब अपडेट्स.

लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह, सोनिया गांधी और निशिकांत दुबे लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह, सोनिया गांधी और निशिकांत दुबे
हाइलाइट्स
  • दो तिहाई बहुमत से लोकसभा में पास हुआ महिला आरक्षण बिल

  • सोनिया गांधी ने नारीशक्ति वंदन विधेयक का किया समर्थन 

लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पास हो गया. बुधवार को इसके पक्ष में 454 वोट पड़े, वहीं विपक्ष में सिर्फ 2 वोट पड़े. लोकसभा में यह बिल दो तिहाई बहुमत से पास हो गया है. इससे पहले लोकसभा में बिल पर हुई चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से कई सदस्यों ने हिस्सा लिया. लोकसभा में पर्ची के जरिए वोटिंग हुई. महिला आरक्षण संशोधन विधेयक पर वोटिंग करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लोकसभा पहुंचे थे. बिल के खिलाफ AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और उनकी ही पार्टी के सांसद इम्तियाज जलील ने वोट किया. 

राज्यसभा में कल पेश होगा महिला आरक्षण बिल
अब देश की निगाहें राज्यसभा पर लगी हुई हैं. राज्यसभा में गुरुवार को महिला आरक्षण बिल पेश किया जाएगा. आरक्षण लागू होने के बाद लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी. आइए जानते हैं सोनिया गांधी, गृहमंत्री अमित शाह, निशिकांत दुबे सहित किस नेता ने बिल को लेकर क्या कहा और इस विधेयक में क्या-क्या किया गया है संशोधन?

महिला आरक्षण बिल में किया गया है संशोधन
महिला संरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) में संशोधन किया गया है. इस बिल पर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि ये संविधान संशोधन बिल है. बिल में हम जो संशोधन कर रहे हैं, उसके चार महत्वपूर्ण क्लॉज हैं. 
1. पहले क्लॉज में संविधान का आर्टिकल 239  है, जिसमें हम 239AA जोड़ रहे हैं. इससे दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी रिजर्वेशन सुनिश्चित होगा. 
2. दूसरे क्लॉज में संविधान के 330 आर्टिकल में हम एक सेक्शन 33A जोड़ रहे हैं. जिसके तहत महिलाओं के लिए लोकसभा में 33 फीसदी आरक्षण होगा. 
3. तीसरे क्लॉज के मुताबिक, संविधान के आर्टिकल 332 के बाद एक नया आर्टिकल 33A जोड़ा जा रहा है, उसके मुताबिक, महिलाओं के लिए राज्य विधानसभा में 33 फीसदी सीटों का प्रावधान होगा.
4. चौथे क्लॉज में संविधान के आर्टिकल 334 के बाद एक नया आर्टिकल 33A जोड़ा जा रहा है, जिसके मुताबिक, महिलाओं के लिए ये आरक्षण (जो ये सदन चर्चा के लिए आज ले रहा है) 15 सालों के लिए प्रभावी रहेगा. 15 सालों के बाद यदि इसे बढ़ाना है तो ये संसद ही तय करेगी. ये संसद को अधिकार रहेगा.

महिला आरक्षण बिल के बहाने सोनिया गांधी ने रख दिया INDIA का एजेंडा
महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में चर्चा के बीच कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने नारीशक्ति वंदन विधेयक का समर्थन किया और सरकार से अनुरोध किया कि जाति आधारित जनगणना कराकर विधेयक में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के साथ ही अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) की महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की जाए.

ये बिल मेरे जीवनसाथी राजीव गांधी का है सपना 
सोनिया गांधी लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के प्रावधान वाले 128वें संविधान संशोधन विधेयक, 2023 पर यह भी कहा कि कानून बनने के साथ इसे जल्द से जल्द लागू किया जाए क्योंकि इसे लागू करने में देरी भारत की महिलाओं के साथ घोर नाइंसाफी होगी. सोनिया गांधी ने कहा कि ये बिल मेरे जीवनसाथी राजीव गांधी का सपना है और खुद मेरी जिंदगी का मार्मिक क्षण है.

महिला आरक्षण कार्ड का श्रेय लेने की कोशिश
सोनिया गांधी ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी की ओर से फेंके गए इस महिला आरक्षण कार्ड का एक तरफ श्रेय लेने की कोशिश की तो दूसरी तरफ उन्होंने कहा कि बिना एससी-एसटी और ओबीसी कैटगरी के महिलाओं को इसमें लाभ दिए बिना ये पहल कारगर नहीं होगी. उन्होंने कहा कि सरकार को तुरंत जातीय जनगणना करवाकर इन वंचित वर्गों के लिए भी इस बिल में आरक्षण का प्रावधान किया जाए.

जातीय जनगणना की मांग क्यों 
INDIA गठबंधन के अधिकांश दल (कांग्रेस, राजद, जेडीयू, सपा, एनसीपी, झामुमो समेत डीएमके और अन्य) जातीय जनगणना की मांग लंबे समय से करते रहे हैं. INDIA गठबंधन की बैठकों में भी इस पर चर्चा हो चुकी है कि किन मुद्दों पर बीजेपी सरकार और एनडीए गठबंधन को घेरा जा सकता है. उनमें जातीय जनगणना अहम है. 28 दलों के गठबंधन को ऐसा लगता है कि जातीय जनगणना की मांग करने और महिला आरक्षण बिल में एससी, एसटी, अल्पसंख्यक और ओबीसी महिलाओं को कोटा के अंदर कोटा देने की मांग करने से समाज का बड़ा तबका (वोट बैंक) उसकी तरफ आ सकता है.

बीजेपी बनाम एससी-एसटी और ओबीसी की लड़ाई बनाने में जुटे
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने कई क्षेत्रीय ओबीसी छत्रपों को अपने साथ कर उनका वोट खींचा है और अभी भी इस कोशिश में लगी है. दूसरी तरफ, कांग्रेस और उसकी अगुवाई वाले गठबंधन के घटक दल लगातार उस वोट बैंक पर फिर से कब्जा पाने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं. इसी कड़ी में INDIA गठबंधन के दल सभी सियासी लड़ाई को बीजेपी बनाम एससी-एसटी और ओबीसी की लड़ाई बनाने में जुटे हैं.

निशिकांत दुबे ने कांग्रेस को 'घेरा'
निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर महिला आरक्षण विधेयक को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए लोकसभा में कहा कि आधी आबादी को अधिकार देने का विधेयक लाने का श्रेय केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी पार्टी को जाता है. झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि कांग्रेस समेत विपक्षी दल इतने वर्षों तक इस विधेयक को लेकर नहीं आए और प्रधानमंत्री मोदी तथा भाजपा ने इसे लाने का नैतिक साहस दिखाया.

सोनिया ने सुषमा स्वराज और गीता मुखर्जी का जिक्र नहीं किया
भाजपा की ओर से सोनिया गांधी के बाद निशिकांत दुबे ने बहस को आगे बढ़ाया. उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण के लिए सुषमा स्वराज और गीता मुखर्जी का योगदान रहा है. इन दोनों महिला नेताओं ने इसके लिए आंदोलन किया था. उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण बिल के लिए क्रेडिट लेने की कोशिश की, लेकिन सुषमा स्वराज और गीता मुखर्जी का जिक्र नहीं किया. 

कांग्रेस इस बिल पर कर रही राजनीति
निशिकांत दुबे ने कहा कि कांग्रेस ने संविधान सभा के समय से लेकर आज तक उच्च सदन और विधान परिषद में आरक्षण की बात नहीं की, लेकिन अब 'गलत तरह का माहौल पैदा. कर रही है. निशिकांत दुबे ने कहा, आप (कांग्रेस) राजनीति के माध्यम से इस विषय को लॉलीपॉप बनाते रहे. आप चाहते हैं कि यह सरकार भी यही करे. उन्होंने कहा कि 2024 के चुनाव से पहले विधेयक को कानून बनाकर लागू करने की मांग भी राजनीति का हिस्सा है, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 82 में स्पष्ट है कि पहले जनगणना, फिर परिसीमन करने के बाद ही इस विधेयक को लागू किया जा सकेगा.

'महिलाओं की चिंता केवल महिलाएं ही करेंगी, पुरुष चिंता नहीं कर सकते'
महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा में भाग लेने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निशिकांत दुबे जैसे ही खड़े हुए तो विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया और किसी महिला सांसद के नहीं बोलने पर आपत्ति जताई. इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि महिलाओं के बारे में भाइयों को भी आगे बढ़कर सोचना चाहिए. 

गृह मंत्री शाह ने कहा कि महिलाओं के बारे में चिंता करने का अधिकार सभी को है. उन्होंने सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी का नाम लेते हुए पूछा कि क्या महिलाओं की चिंता केवल महिलाएं ही करेंगी. पुरुष उनकी चिंता नहीं कर सकते हैं? आप किस प्रकार के समाज की रचना चाहते हैं? उन्होंने कहा कि महिलाओं की चिंता और उनके हित के बारे में आगे बढ़कर भाइयों को सोचना चाहिए और यही इस देश की परंपरा है. 

अमित शाह का राहुल गांधी को जवाब
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस बिल पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए इसमें ओबीसी आरक्षण की मांग की. साथ ही केंद्र पर ओबीसी की अनदेखी का आरोप लगाया. वहीं राहुल गांधी के बयान पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पलटवार किया. महिला बिल जल्दी लागू करने के सवाल पर अमित शाह ने कहा कि इसके लिए नियम हैं. उन्होंने कहा कि अगर वायनाड सीट महिलाओं के लिए रिजर्व कर दिया तो कहोगे कि राजनीतिक रूप से ये फैसला लिया गया है. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कुछ पार्टियों के लिए, महिला सशक्तिकरण एक राजनीतिक एजेंडा और चुनाव जीतने का एक राजनीतिक हथियार हो सकता है, लेकिन बीजेपी और नरेंद्र मोदी के लिए यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है.

मायावती ने कहा- महिलाओं को प्रलोभन देने के लिए लाया गया बिल
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, इस बिल के मुताबिक आने वाले 15-16 सालों में देश में महिलाओं को आरक्षण नहीं दिया जाएगा. इस बिल के पास होने के बाद इसे तुरंत लागू नहीं किया जा सकेगा, सबसे पहले देश में जनगणना कराई जाएगी और इसके बाद सीटों का परिसीमन किया जाएगा. जनगणना में काफी समय लगता है. इसके बाद ही यह बिल लागू होगा. इससे साफ है कि यह बिल महिलाओं को आरक्षण देने के इरादे से नहीं लाया गया है बल्कि आगामी चुनाव से पहले महिलाओं को प्रलोभन देने के लिए लाया गया है.

क्या बोलीं डिंपल यादव 
सपा का पक्ष रखते हुए डिंपल यादव ने कहा, सपा की हमेशा मांग रही है कि इसमें एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों भी शामिल किया जाए. जब बीजेपी सरकार का 1 दशक पूरा होने जा रहा है, अब सरकार को महिलाओं की याद आई है. मेरा सवाल है कि यह 2024 लोकसभा चुनाव में लागू हो पाएगा या नहीं. और 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव में यह लागू होगा या नहीं. सरकार कब जनगणना कराएगी. मेरा सवाल ये है कि क्या ये सरकार जातिगत जनगणना कराएगी. 

महुआ ने ममता को 'मदर ऑफ द बिल' बताया 
बुधवार को बिल पर चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को 'मदर ऑफ बिल' बताया. महुआ मोइत्रा ने कहा कि ममता बनर्जी ने पहले से ही लोकसभा में महिलाओं को पर्याप्त जगह दी है, वे असल मायने में 'मदर ऑफ बिल' हैं. मोइत्रा ने जल्द से जल्द कानून बनाने की मांग की. उन्होंने कहा, महिलाओं को बराबर का अधिकार मिलना चाहिए. महुआ मोइत्रा ने महिला आरक्षण बिल पर हो रही देरी को लेकर अपनी निराशा जाहिर की.

बिल से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
1. महिला आरक्षण बिल: इस बिल में लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई हैं. इसे 128वें संविधान संशोधन विधेयक के तहत पेश किया गया है. इस संशोधन के बाद लोकसभा में एक तिहाई भागीदारी महिलाओं की होगी. इस विधेयक से महिला सशक्तिकरण को मजबूती मिलने के साथ ही आधी आबादी के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा मिलेगा.

2. महिलाओं की बढ़ेगी भागीदारी: महिला आरक्षण विधेयक में दिल्ली विधानसभा में भी महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने का प्रावधान है. इसके तहत दिल्ली विधानसभा में भी महिलाओं की एक तिहाई भागीदारी अनिवार्य हो जाएगी. इससे राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं को सक्रिय राजनीति में आगे बढ़ने में गति मिलेगी. इस कानून के बाद लोकसभा में कम से कम 181 महिला सांसद चुनकर आएंगी, फिलहाल सदन में महिला सदस्यों की संख्या 82 है.

3. सभी विधानसभाओं में भी लागू होगा प्रावधान: लोकसभा और दिल्ली विधानसभा की तर्ज पर ही देश के सभी राज्यों के विधानसभाओं में भी ये बदलाव लागू होगा. जैसे लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित हो जाएंगी. ठीक उसी तरह से सभी राज्यों के विधानसभाओं में महिलाओं की 33 प्रतिशत सीटें अनिवार्य हो जाएंगी. इसके तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आवंटित सीटों में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित हो जाएंगी.

4. महिलाओं के लिए लाए गए आरक्षण 15 वर्षों तक प्रभाव में रहेगा. इसके साथ ही इसमें प्रावधान है कि सीटों का आवंटन रोटेशन प्रणाली के तहत की जाएगी.

5. 27 वर्षों से लटका है विधेयक: महिला आरक्षण बिल पिछले 27 वर्षों से लटका हुआ है. इसे पहली बार 12 सितंबर 1996 को एचडी देवगौड़ा की सरकार ने पेश किया था. हालांकि, उस वक्त ये बिल पास नहीं हो सका था. इसके बाद भी तमाम सरकारों ने इसे कानून का रूप देने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए.

गुड न्यूज टुडे चैनल को WhatsApp पर फॉलो करें

ये भी पढ़ें