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Sexual Harrasment at Workplace: वर्कप्लेस पर हो रहा है सेक्शुअल हैरेसमेंट? खुद को बचाने के लिए महिलाओं के पास हैं ये अधिकार

Sexual Harrasment at Workplace: वर्कप्लेस को सुरक्षित बनाने के लिए महिलाओं को कई अधिकार दिए गए हैं. ऐसे में अगर आप भी सेक्शुअल हैरेसमेंट का शिकार हो रहे हैं तो खुद को बचाने के लिए आप इसकी शिकायत कर सकते हैं.

Sexual Harrasment at Workplace Sexual Harrasment at Workplace
हाइलाइट्स
  • सुरक्षित कार्यस्थल का अधिकार

  • कानूनी कार्रवाई का अधिकार

महिलाओं की सुरक्षा के लिए उन्हें अलग-अलग अधिकार दिए गए हैं.  दफ्तरों में, सड़कों पर, घरों में यहां तक कि सोशल मीडिया पर उन्हें किसी भी प्रकार के हैरेसमेंट से बचाया जा सके, इसके लिए कई नियम-कानून बनाए गए हैं. अब एक बार फिर से ‘सेक्शुअल हैरेसमेंट’ शब्द चर्चा में है. जानी-मानी कुश्ती पहलवान जैसे विनेश फोगाट, साक्षी मलिक समेत 7 ने रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. जिसके बाद से ही महिला अधिकारों को लेकर चर्चा तेज हो गई है. ऐसे में जरूरी है कि हर महिला को उनके अधिकारों के बारे में पता हो. 

सेक्शुअल हैरेसमेंट के खिलाफ आपके पास क्या अधिकार हैं?

दरअसल, सेक्शुअल हैरेसमेंट एक तरह का जेंडर-बेस्ड वायलेंस है. इसका सामना जिंदगी में लगभग एक बार तो हर लड़की कर ही चुकी है. ऐसे में भारतीय आचार संहिता में ऑफिस, शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक स्थानों सहित किसी भी तरह के वातावरण में महिलाओं को यौन उत्पीड़न से मुक्त होने का अधिकार दिया गया है. जैसे-

1. सुरक्षित कार्यस्थल का अधिकार

महिलाओं को ऐसे वातावरण में काम करने का अधिकार दिया गया है जो यौन उत्पीड़न से मुक्त हो. इसकी जिम्मेदारी  एम्प्लॉयर की है कि वह महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ कार्यस्थल बनाएं, जिसमें यौन उत्पीड़न को रोकना या उसपर बातचीत करने की आजादी हो. 

2. शिकायत दर्ज करने का अधिकार

अगर किसी महिला का यौन उत्पीड़न हो रहा है या हुआ है, तो उसे अपने एम्प्लॉयर या सरकारी एजेंसी के पास शिकायत दर्ज करने का अधिकार है. इसके लिए उनके पास एक शिकायत प्रक्रिया होना जरूरी है. ताकि वे आसानी से शिकायत दर्ज कर सकें, साथ ही उस शिकायत की जांच करना और आगे उत्पीड़न को रोकने के लिए उचित कार्रवाई करना शामिल है.

3. गोपनीयता का अधिकार

यौन उत्पीड़न या सेक्शुअल हैरेसमेंट’ की रिपोर्ट करते समय महिलाओं को गोपनीयता (Privacy) का अधिकार है. ये जिम्मेदारी एंप्लॉयर की है कि वे शिकायतकर्ता की शिकायत और उसकी पहचान को प्राइवेट रखें. ये शिकायतकर्ता पर निर्भर करता है कि वे अपनी पहचान सामने लाना चाहती हैं या नहीं. 

4. कानूनी कार्रवाई का अधिकार

जिन महिलाओं का यौन उत्पीड़न हुआ है, उन्हें अपने उत्पीड़क और अपने एम्प्लॉयर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार रखती हैं. कानूनी कार्रवाई में नुकसान के लिए मुकदमा दायर करना या सरकारी एजेंसी के पास शिकायत दर्ज करना शामिल हो सकता है.

5. समर्थन का अधिकार

जिन महिलाओं का यौन उत्पीड़न हुआ है, उन्हें अपने नियोक्ता, सहकर्मियों, परिवार और दोस्तों से सपोर्ट पाने का अधिकार है. सपोर्ट में परामर्श, वकालत और अन्य संसाधनों के लिए रेफरल शामिल हो सकते हैं.

अगर यौन उत्पीड़न हो तो सबसे पहले क्या करें? 

अगर आपका यौन शोषण हुआ है तो सबसे पहले जरूरी है कि आप खुद को बचाने के लिए कार्रवाई करें. उसी वक्त उसके खिलाफ आवाज उठाएं. हैरेसमेंट करने वाले शख्स को सीधे तौर ऐसा न करने के लिए कहें. अगर वह नहीं रुकता/रूकती है तो फिर उसकी शिकायत करें. ऐसे में अगर उत्पीड़क आपको धमकी दे रहा है, तो इसकी रिपोर्ट एम्प्लायर से करें. कार्यस्थल में अगर कोई उत्पीड़न हो रहा है तो उसे रोकने के लिए कार्रवाई करने के लिए नियोक्ता कानूनी रूप से बाध्य हैं. इसमें आपको मदद कानून करता है. इसके अलावा, महिलाओं को दोस्तों, परिवार के सदस्यों या किसी पेशेवर से मदद लेने में संकोच नहीं करना चाहिए.