बच्चे को दूध पिलाती मां (प्रतीकात्मक फोटो)
बच्चे को दूध पिलाती मां (प्रतीकात्मक फोटो) दुनियाभर में हर साल 1 अगस्त से लेकर 7 अगस्त तक वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक यानी विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है. यह खास हफ्ता लोगों को स्तनपान से जुड़े फायदे और जरूरत के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है. इसका उद्देश्य मां-बच्चे के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए स्तनपान को बढ़ावा देना, उसकी रक्षा करना और उसका समर्थन करना है. इस बार होने वाले इस वार्षिक उत्सव में भारत समेत 120 से ज्यादा देश हिस्सा ले रहे हैं. आइए जानते हैं सबसे पहले कैसे और कहां हुई इस वीक को मनाने की शुरुआत और क्या है स्तनपान कराने के फायदे.
वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक का इतिहास
1991 में ब्रेस्टफीडिंग को समर्थन और बढ़ावा देने के मकसद से वर्ल्ड अलायंस फॉर ब्रेस्टफीडिंग एक्शन (WABA) का गठन किया गया. इसके शुरुआती फैसले में ब्रेस्टफीडिंग को एक खास दिन के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया. लेकिन इसके उद्देश्य और महत्व को समझते हुए बाद में निर्णय लिया गया कि इसे एक खास दिन की जगह एक खास सप्ताह के तौर पर मनाया जाएगा. इसके बाद 1992 में दुनिया में पहली बार वर्ल्ड ब्रेस्ट फीडिंग वीक मनाया गया. जिसे अगस्त की पहली तारीख से अगले एक सप्ताह तक यानी 7 अगस्त तक मनाया गया. तब से WABA WHO, UNICEF और उनके सहयोगियों के साथ मिलकर वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक का आयोजन करता आ रहा है ताकि मां, बच्चे के लिए स्तनपान के सकारात्मक परिणामों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके.
क्या है थीम
हर साल इस खास सप्ताह के लिए एक अलग थीम रखी जाती है. साल 2023 में वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक की थीम 'इनऐबल ब्रेस्टफीडिंग- मेंकिंग ए डिफ्रेंनस फॉर वर्किंग वूमेन' है. इसका मतलब है कि जो महिलाएं नौकरी करतीं हैं और उन्हें मैटरनिटी अवकाश के बाद कार्यालय आना पड़ रहा है. ऐसी महिलाओं के लिए उनके कार्यस्थल पर ब्रेस्टफीडिंग की व्यवस्था की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है.
मां का दूध पीने से शिशु को होने वाले लाभ
1. शिशु के मृत्यु दर में कमी.
2. इम्यून सिस्टम मजबूत होता है.
3. मानसिक विकास बेहतर होता है.
4. दस्त, कब्ज, गैस्ट्रोएंटेराइटिस, गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स से बचाव.
5. आखों को बेहतर रोशनी मिलती है.
6. एलर्जी, एक्जिमा और अस्थमा से बचाव.
7. सर्दी और सांस की बीमारी जैसे निमोनिया, रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस और काली खांसी से बचाव.
8. बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस से बचाव.
9. मोटे होने की संभावना का कम होना.
10. मां का दूध शिशु को बीमारियों से बचाता है,
11. मां का दूध शिशु की बौद्धिक क्षमता को बढ़ाता है.
कोलेस्ट्रम होता है सबसे ज्यादा फायदेमंद
शिशु जन्म के तुरंत बाद से लेकर कुछ दिनों तक मां के स्तनों से निकलने वाला पतला गाढ़ा दूध कोलेस्ट्रम (खिरसा) कहलाता है. यह पीले रंग का चिपचिपा दूध होता है. इस दूध को अकसर लोग अंधविश्वास के चलते गंदा और खराब दूध कहकर नवजात बच्चे को इसे नहीं देते. जबकि डॉक्टरों का कहना है कि कोलेस्ट्रम बच्चे के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है. इसमें संक्रमण से बचाने वाले तत्व होते हैं. यह विटामिन ए से भी भरपूर होता है. इसमें 10 प्रतिशत से अधिक प्रोटीन होता है. कोलेस्ट्रम में कम वसा व उपयुक्त कार्बोहाइड्रेट होते हैं. इस दूध को शिशु जन्म के 1 घंटे के भीतर ही मां को अपने बच्चों को पिलाना चाहिए. इसे पिलाने से नवजात में पोषक तत्वों और संक्रमणों से बचाव वाले तत्वों के भंडारण में मदद मिलती है.
कहा जाता है शिशु का पहला टीका
कोलेस्ट्रम के फायदों को देखते हुए ही इस दूध को शिशु का पहला टीका कहा गया है. कोलेस्ट्रम के अलावा मां का सामान्य दूध भी नवजात शिशु के लिए किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि इसमें सफेद रक्तकणिकाएं, मिनरल्स, विटामिन और एमिनो एसिड जैसे पोषक तत्व व पर्याप्त पानी मौजूद होता है, जो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. यदि किसी वजह से मां बीमार हो तो भी शिशु को स्तनपान कराते रहना चाहिए जब तक की डॉक्टर पिलाने से मना न करें. छह माह बाद शिशु को हल्का आहार देना शुरू करें, लेकिन ब्रेस्टफीडिंग कम से कम एक से दो वर्ष तक जारी रखना चाहिए.
मृत्यु दर देखने को मिलता है कम
डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल लगभग 2 करोड़ से अधिक शिशुओं का वजन जन्म के समय 2.5 किलोग्राम से कम रहता है. बचपन में इन शिशुओं में सामान्य विकास में कमी, संक्रामक बीमारी, धीमी वृद्धि और मृत्यु होने का जोखिम अधिक होता है. जिन शिशुओं को जन्म के 24 घंटे के भीतर स्तनपान कराया जाता है, उनमें उन बच्चों के मुकाबले मृत्यु दर कम देखने को मिलता है, जिन्हें 24 घंटे बाद स्तनपान कराया जाता है.
मां के लिए स्तनपान के फायदे
1. स्तनपान कराने से माता को भी लाभ होता है.
2. स्तन के दूध के उत्पादन के दौरान होने वाली कैलोरी बर्नआउट के कारण तेजी से प्रसवोत्तर वजन कम होता है.
3. कुछ प्रकार के कैंसर का कम जोखिम, जैसे कि डिम्बग्रंथि और स्तन कैंसर.
4. हड्डियों की बीमारियों जैसे ऑस्टियोपोरोसिस और गठिया के जोखिम को कम करता है.
5. भावनात्मक संतुष्टि को बढ़ावा देकर प्रसवोत्तर अवसाद का कम जोखिम.
6. गर्भाशय को सिकुड़ने और सामान्य आकार में लौटने में मदद मिलता है.
7. एनीमिया की संभावना का कम होना.
8. स्तनपान के दौरान त्वचा से त्वचा का संपर्क मां और बच्चे दोनों की मदद करता है.
9. प्राकृतिक रूप से दोबारा गर्भधारण टालने में मदद मिलती है.
10. यदि मां बच्चे को नियमित रूप से स्तनपान कराती रहती है तो छ: माह बाद तक गर्भधारण नहीं हो सकता.