
 World Environment Day 2022 
 World Environment Day 2022 जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों के बारे में जागरूकता लाने के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है. विश्व पर्यावरण दिवस का उद्देश्य सभी को हमारे पर्यावरण के सामने आने वाली समस्याओं के बारे में बताना है. इन समस्याओं में बढ़ता प्रदूषण, समुद्र का बढ़ता स्तर, प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग और कार्बन फुटप्रिंट में वृद्धि शामिल है.
तो इस विश्व पर्यावरण दिवस पर, हम आपको बता रहे हैं ऐसे Environmentalists के बारे में जो लगातार प्रकृति के लिए काम कर रहे हैं.
1. सीता अनंतसिवान, भूमि कॉलेज

सीता अनंतसिवान ने IIM-अहमदाबाद से ग्रेजुएशन करने के बाद प्रकृति संरक्षण को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया. उन्होंने वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फाउंडेशन के साथ जॉब की और पर्यावरण के बारे में ज्यादा से ज्यादा जाना. उन्होंने प्रकृति के साथ संतुलन बनाते हुए जीवन जीने की कला सीखी.
अपने अनुभव को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए सीता ने बैंगलोर के बाहरी इलाके में भूमि कॉलेज की स्थापना की. कॉलेज परिसर में 100 से अधिक प्रजातियों के पेड़-पौधे हैं. 70 से अधिक पंछी और तितलियां भी हैं. इस कॉलेज में बच्चों को जिंदगी के मायने प्रकृति से जोड़कर सिखाए जाते हैं.
उन्हें मिट्टी के घर, जल संरक्षण, सौर ऊर्जा सहित हर प्राकृति चीज़ों का प्रैक्टिल ज्ञान दिया जाता है. इस कॉलेज का मानना है कि प्रकृति प्राथमिक शिक्षक है.
2. गर्विता गुलाटी, Why Waste

गर्विता गुलाटी ने जल संरक्षण के लिए Why Waste? की शुरुआत की. गर्विता को पता चला कि भारत में रेस्तरां या होटल में लोग जो पानी कप-गिलास में छोड़ देते हैं, उसी से हर साल 14 मिलियन लीटर पानी बर्बाद हो जाता है तो उन्होंने कुछ करने की ठानी. उन्होंने Why Waste? की शुरुआत की जिसके जरिए उन्होंने लोगों की मानसिकता और आदतों में बदलाव लाने पर काम किया.
2015 में अपनी शुरुआत के बाद से, Why Waste? का काम 10 मिलियन लोगों और 500,000 से अधिक रेस्तरां तक पहुंचा है, और 6 मिलियन लीटर पानी बचाने में मदद मिली है. इन प्रयासों के लिए, गुलाटी को पिछले साल वेल्स की दिवंगत राजकुमारी के सम्मान में चैरिटी से प्रतिष्ठित डायना पुरस्कार मिला था.
3. माधव दत्त, Green The Gene

माधव दत्त ने साल 2004 में एक स्टुडेंट पर्यावरण क्लब के रूप में Green The Gene की शुरुआत की थी. वह भी 8 साल की उम्र में. माधव को पता चला कि भारत का भूजल स्तर हर साल लगभग दो फीट गिर रहा है. अब ग्रीन द जीन 7,000 से अधिक छात्र स्वयंसेवकों के साथ काम कर रहा है. जिन्होंने 62 देशों में 8,000 कम लागत वाले वाटर-फिल्टरेशन डिवाइस लगाए हैं. इनके डिवाइस सालाना 14.4 मिलियन लीटर पानी फिल्टर करते हैं, जिससे 40,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध होता है.
4. संजय सिंह, परमार्थ समाज सेवी संस्थान

संजय सिंह को वाटर मैन ऑफ बुंदेलखंड कहा जाता है. उन्होंने अपना पूरा जीवन जल संरक्षण के लिए समर्पित किया हुआ है. वह जन जल जोड़ी अभियान के राष्ट्रीय संयोजक हैं. उनका संगठन परमार्थ समाज सेवी संस्थान वर्तमान में पूरे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 600 गांवों में सक्रिय है. जल सहेली समूहों के गठन के पीछे संजय का हाथ है. वर्तमान में, देश भर में 226 गांवों और 226 पानी पंचायतों में 886 जल सहेली समूह काम कर रहे हैं.