

भारत ने दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल बनाकर चमत्कार कर दिया है. रेलवे का ये पुल मणिपुर के नोनी में बनकर तैयार हो गया है. यह पुल जिरीबाम-इंफाल रेलवे लाइन प्रोजेक्ट का हिस्सा है और इसे ब्रिज नंबर 164 के नाम से जाना जाता है. इस पुल के दो पियर्स P3, P4 141 मीटर ऊंचे हैं. यह इसे दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पियर ब्रिज बनाता है.
कुतुब मीनार से दोगुना ऊंचा है पुल-
जिरीबाम-इंफाल रेलवे लाइन पर बना ये पुल 141 मीटर ऊंचा है. यह कुतुब मीनार से भी दोगुना ऊंचा है. पुल के सभी 8 स्पैन की लॉन्चिंग पूरी हो चुकी है. अब खोंगसांग से नोंगई और नोंगई से इंफाल तक के सेक्शन आने वाले सालों में चालू किए जाएंगे.
इससे पहले दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल मोंटेनेग्रो में था. उस पुल की ऊंचाई 139 मीटर ऊंचा था. लेकिन अब मणिपुर का नोंगई पुल इसे रिकॉर्ड को पीछे छोड़ देगा. यह पुल करीब 140 मीटर ऊंचा है. यह पुल 703 मीटर लंबा है. इसके खंभों का निर्माण हाइड्रोलिक ऑगर्स का इस्तेमाल करके किया गया है.
सेना ने निभाई अहम भूमिका-
यह ऐतिहासिक उपलब्धि में भारतीय सेना की 107 इन्फेंट्री बटालियन (टेरेटोरियल आर्मी) गोरखा राइफल्स ने ने अहम भूमिका निभाई.एक तरफ इंजीनियर्स ने विशाल संचरना खड़ा किया तो दूसरी तरप सेना ने सुरक्षा और सहयोग मुहैया कराया. उनकी मौजूदगी ने खराब मौसम के हालात में सुरक्षा खतरों और भौगोलिक चुनौतियों वाले इस इलाके में देश के लिए अहम इस निर्माण को आसान बनाया है.
आज यह पुल भारत की बुनियादी ढांचे की क्षमता की एक बड़ी मिसाल है. इस काम में गोरखा टेरियर्स का रोल मिलिट्री ड्यूटी से अलग था.
क्यों अहम है ये पुल-
इस पुल और जिरीबाम-इंफाल रेलवे लाइन प्रोजेक्ट के पूरा होने से मणिपुर और आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा. इससे रेलवे माल ढुलाई और यात्रियों के सफर की लागत कम होगी. इलाके में उद्योग और कारोबार को बढ़ावा मिलेगा. इस प्रोजेक्ट से रोजगार के नए अवसर मिलेंगे. पूर्वोत्तर राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी.
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