हादसे दर हादसे... तकनीकी खराबी, इमरजेंसी लैंडिंग, और कैंसिल होती उड़ानें... जब हर उड़ान एक भरोसा लेकर आसमान में जाती है, तो उस भरोसे की डोर थामने वाला कौन है? अगर हादसा होता है, तो सिर्फ मुआवज़ा ही काफी है या ज़िम्मेदारी तय होना भी ज़रूरी है? हमारा सातवां और आखिरी सवाल इसी से जुड़ा है