भारत की सबसे ताकतवर असॉल्ट राइफल एके-203 अब पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से अमेठी के कोरबा में बनाई जा रही है. रूस से पूरी तरह से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के बाद, इस राइफल का उत्पादन तेजी से हो रहा है. भारतीय सेना को अब तक 48,000 राइफल्स मिल चुकी हैं, जिनमें किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं पाई गई है. कोरबा की फैक्ट्री में हर महीने 12,000 राइफल्स तैयार हो रही हैं और लक्ष्य है कि 2030 तक सेना को 6,00,000 से अधिक राइफल्स मिलें. दिसंबर 2025 तक इस राइफल का 100% स्वदेशीकरण हो जाएगा, जिसके बाद इसे 'शेर' नाम दिया जाएगा. मेजर जनरल एस के शर्मा ने एके-203 को लेकर कहा कि 'हम सिर्फ भारत के लिए नहीं बल्कि दुनिया के लिए भी बना रहे हैं. कई देश इस राइफल में रुचि दिखा रहे हैं' यह राइफल 1 मिनट में 700 राउंड फायर करती है और इसकी रेंज 800 मीटर है. यह आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक बन चुकी है और इसका बड़े पैमाने पर निर्यात करने का भी लक्ष्य है.