बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई को सुबह 6 बजे भक्तों के लिए खोले जाएंगे, जिसके लिए भगवान बद्री विशाल की डोली धाम पहुंच चुकी है. इस वर्ष लगभग 70-80 साल बाद गरुड़ जी की डोली की परंपरा भी पुनः शुरू हुई है, और विदेशी श्रद्धालु भी यात्रा के लिए पहुंच रहे हैं. आचार्य चंद्रशु जी महाराज ने कहा, 'व्यक्ति की खुद की समीक्षा करना चाहिए और संसार वालो की परीक्षा करनी चाहिए पर भगवान की केवल प्रतीक्षा करनी चाहिए.' भारत की सनातन संस्कृति विदेशियों को आकर्षित कर रही है जो यहाँ शांति की तलाश में आते हैं. एक वक्ता ने कहा, 'मंगल ग्रह तक हम लोग पहुँच गए हैं पर जीवन में मंगल कैसे आएगा, इसकी विधा किसी के पास नहीं है. अगर किसी के पास है वह हमारे पास है, भारत के पास में है.' उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ है और चमोली में यूनेस्को विश्व धरोहर रम्माण उत्सव भी मनाया जा रहा है. बद्रीनाथ धाम में 12 साल बाद पुष्कर कुंभ का भी आयोजन हो रहा है.