नागपुर के कुराड़ी इलाके में थर्मल पावर प्लांट के आसपास की जमीनें फ्लाई एश के कारण बंजर हो गई थीं. महाराष्ट्र के विदर्भ जिले में कोराडी, खापरखेड़ा और चंद्रपुर थर्मल पावर स्टेशनों के पास की इन जमीनों पर कोई पैदावार नहीं होती थी. मिट्टी कमजोर थी और हवा धूल से भरी रहती थी. स्थानीय लोगों का मानना था कि इन इलाकों का कुछ नहीं हो सकता. एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया, "यहां पे पूरी बंजर जमीन थी मतलब पूरे रखखड़ थे रखखड़ में पूरे ऐसे घास वास थे कि हम कुछ नहीं उगा सकते. ऐसे लग रहे थे पूरी जगह वो जगह हमने साफ की है साफ करने के बाद गड्ढे खोदे गड्ढे खोदने के बाद. वाले लोगों ने आए हमको झाड़ लगाने के लिए बताये. बम्बू के झाड़ लगाओ यहां पे बम्बू के झाड़ उत्पन्न होंगी ऐसे करके लगाने के लिए बोले तो जैसे नेरी वाले सर बोले वैसे हमने बम्बू के झाड़ यहां पे लगाए" सीएसआइआर के वैज्ञानिक लाल सिंह ने आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए 1500 हेक्टेयर जमीन को नया जीवन दिया है और 5,00,000 से अधिक पौधे लगाए हैं. सीएसआइआर नेरी की टीम ने 'इको-रेजुविनेशन टेक्नोलॉजी' विकसित की, जिसमें पांच पैरामीटर शामिल हैं. इस तकनीक से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार किया गया और बांस, नीम, करंज जैसे देशी पेड़ लगाए गए. अब यह इलाका हरा-भरा हो गया है और पक्षियों की वापसी भी हुई है.