राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने एक नई पहल शुरू की है. सरहद पर निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ऊंटों के रिटायरमेंट के बाद उनके पुनर्वास के लिए यह कदम उठाया गया है. पहले रिटायर किए गए ऊंटों को नीलामी के बाद बेच दिया जाता था, लेकिन अक्सर शिकायतें आती थीं कि वृद्ध ऊंटों को अनुपयोगी मानकर खराब स्थिति में छोड़ दिया जाता था या वधशालाओं में भेज दिया जाता था. अब BSF ने इन ऊंटों को उन ग्रामीणों को सौंपने का फैसला किया है जो उन्हें अपने पास रखने में रुचि रखते हैं. प्रशिक्षित ऊंटों के मिलने से ग्रामीणों को परिवहन और पर्यटन दोनों में लाभ होता है. ऊंटों को फौज से हासिल करने के लिए ग्रामीणों के लिए कुछ शर्तें निर्धारित की गई हैं, जिनमें यह सुनिश्चित किया गया है कि वे इन ऊंटों को बेचेंगे नहीं और न ही उन पर भारी भार डालेंगे. BSF इन ऊंटों के स्वास्थ्य की नियमित जांच भी करेगी. जैसलमेर में BSF की बटालियनों द्वारा कुल 59 रिटायर ऊंट ग्रामीणों को सौंपे गए हैं. यह मुहिम रिटायर ऊंटों की उपयोगिता बनाए रखती है और गांववासियों के लिए आजीविका के नए अवसर भी खोलती है. BSF के अनुसार, रिटायरमेंट के बाद भी ऊंटों पर निगरानी रखी जाएगी और उनके डॉक्टर समय-समय पर उनकी जांच करते रहेंगे.