दिल्ली के चितरंजन पार्क में दुर्गा पूजा का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. सीआर पार्क की सबसे पुरानी पूजा, कालीबाड़ी मंदिर में इस वर्ष पंडाल को बंगाल के हस्तशिल्प और कलाकृतियों को बढ़ावा देने की थीम पर सजाया गया है. यह पूरा पंडाल बांस से बना है, जिसमें कोई कील या तार का उपयोग नहीं किया गया है, जो इसे बेहद टिकाऊ बनाता है. इसे बनाने में लगभग 100 लोगों की टीम को दो महीने का समय लगा. उत्सव के दौरान आनंद मेला का भी आयोजन किया गया है, जहाँ पारंपरिक बंगाली व्यंजनों की बहार है. यहाँ मिलने वाले सभी व्यंजन शुद्ध शाकाहारी हैं और बिना लहसुन-प्याज के तैयार किए गए हैं. आनंद मेला का एक ऐतिहासिक महत्व भी है, जहाँ महिलाएं घर से बाहर निकलकर अपने हाथ के बने पकवान लाती हैं. जैसा कि बताया गया, "1 दिन वो घर के बाहर निकले और निकल के अपना जो वो घर पे बनाती है वो सब के सामने वो लेकर आए तो उनको भी खुशी और सबको भी खुशी तो दैट इज दैट स्टार्टेड फ्रॉम दैट वे ये चीज़ दिमाग में रखे की जो परदा प्रथा के अंदर जो औरते घर में हैं आज वो महाराजा माँ के साथ साथ और वो रोते हैं." मेले में खरीदारी के लिए भी कई स्टॉल लगे हैं, जिनमें ज्वेलरी, बेकरी आइटम और उत्तर प्रदेश के फरा जैसे व्यंजन भी उपलब्ध हैं. यह मेला दिवाली की खरीदारी का भी अवसर प्रदान करता है.