9 अगस्त को राखी का पर्व है, जिसके लिए देशभर के बाजार सजने लगे हैं. इस बार बाजार में पारंपरिक राखियों के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल राखियां भी उपलब्ध हैं. हर साल करोड़ों राखियां बनाई जाती हैं जिनमें प्लास्टिक, थर्मोकोल, चमकदार शीशे और नायलॉन का उपयोग होता है, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं. इस समस्या के समाधान के रूप में इको-फ्रेंडली राखियां सामने आई हैं. ये राखियां गोबर, बीज, कागज, मिट्टी और रेशमी धागों से तैयार की जा रही हैं. रक्षाबंधन का यह पर्व इस बार रिश्तों के साथ प्रकृति से भी जुड़ रहा है. सहारनपुर की मां शाकम्भरी कान्हा उपवन गौशाला ने देशी गाय के गोबर से रंगबिरंगी और आकर्षक राखियां बनाई हैं, जिनमें तुलसी के बीज भी डाले गए हैं. इन राखियों को उपयोग के बाद गमलों में डालने पर ये खाद में परिवर्तित हो जाएंगी और तुलसी का पौधा उगाएंगी.