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Ganesh Utsav 2025: पंचगव्य गणपति घर में घुलेंगे, खाद बनेंगे! पर्यावरण संरक्षण का संदेश

देशभर के बाजारों में गणेश उत्सव की धूम है, जहां रंग-बिरंगी गणपति की मूर्तियां सजी हुई हैं. इस बार इको फ्रेंडली गणपति की मांग सबसे ज्यादा है. शाडू मिट्टी, गोबर, पेपर और प्राकृतिक रंगों से बनी मूर्तियों से बाजार गुलजार हैं. यह आस्था और पर्यावरण संरक्षण का संगम है. झांसी में तान्या बंसल 50 महिलाओं के समूह के साथ गाय के गोबर, दूध, दही, घी और गोमूत्र का इस्तेमाल करके पूरी तरह से इको फ्रेंडली मूर्तियों का निर्माण कर रही हैं. एक अज्ञात वक्ता ने बताया कि पंचगव्य यानी गाय के गोबर, गोमूत्र, दूध, दही और घी से बनी मूर्तियां विसर्जन के बाद घर में ही पानी में घुल जाती हैं और इस पानी को पेड़-पौधों के लिए खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. मध्यप्रदेश के आगर मालवा में भी महिला समूह गोबर से गजानन की प्रतिमाएं बना रही हैं, जिससे उन्हें रोजगार भी मिल रहा है. अमरावती में भावना जैसी दिव्यांग कारीगर भी इको फ्रेंडली मूर्तियां बना रही हैं. 27 अगस्त को बप्पा पधारेंगे, जिसके लिए तैयारियां जोरों पर हैं.