देव प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा के समान ही उनके विसर्जन का भी अपना विधान है, जिसके पीछे एक खास विज्ञान और आध्यात्मिक चेतना निहित है. सनातन परंपरा के अनुसार, गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा का आह्वान कर उनकी मूर्ति में वैदिक मंत्रोच्चारण से प्राण प्रतिष्ठा की जाती है. प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति में व्यापक चेतना का वास होता है. विसर्जन की परंपरा सृष्टि के सृजन, पालन और लय की शाश्वत चेतना को दर्शाती है.