कार्यक्रम में राम भक्ति की धारा बही, जिसमें प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत गाई जाने वाली स्तुतियों का पाठ हुआ. एक संवादक ने कहा, "भाव में ही राम है. भाव में ही ईश्वर की भक्ति है, जो इस तरीके से बाहर निकल रही है." विशेष रूप से पुरुष सूक्त का पाठ किया गया और रामलला के बाल्यकाल के भजन प्रस्तुत किए गए.