गोरखा योद्धाओं को ब्रिटिश जनरल डेविड ने युद्ध में उनकी ताकत के लिए देखा. सुगोली की संधि के तहत गोरखाओं को ब्रिटिश सेना में शामिल किया गया. आजादी के बाद भारत में भी उनकी एक अलग रेजिमेंट बनी. साल 1950 में भारत गणराज्य बनने पर इसका नाम गोरखा राइफल्स रखा गया. भारत, नेपाल और अंग्रेजों के बीच हुए समझौते के अनुसार भारत की सेना में गोरखाओं की भर्ती होती रही है. गोरखा रेजिमेंट भारत के लिए हमेशा तट पर रही है, पाकिस्तान और चीन के खिलाफ खड़ी रही है.