गुजरात के महिसागर जिले के रतू सिंह नामुवाड़ा गांव का एक सरकारी प्राइमरी स्कूल शतरंज की नर्सरी बन गया है. इस स्कूल में प्री-प्राइमरी से लेकर आठवीं कक्षा तक के सभी छात्र-छात्राएं शतरंज खेलने में माहिर हैं. चार साल पहले, जुलाई 2021 के आसपास, इस स्कूल में शतरंज खेलने का चलन शुरू हुआ था. अब पढ़ाई के साथ-साथ शतरंज इस स्कूल की पहचान बन गया है. स्कूल स्टाफ बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए पढ़ाई के अलावा खेलों को भी महत्व देता है. प्रशासन ने खुद संसाधन जुटाकर शतरंज को स्कूल की दिनचर्या का अहम हिस्सा बनाया है. बच्चे अवकाश के समय और छुट्टियों में भी शतरंज का अभ्यास करते हैं. एक छात्र ने कहा, "बीएलएस में जाने के बाद हमें रोज़ सुबह शाम प्रैक्टिस करते हैं और हमारा मेरा गोल है कि हम मैं जी एम बोलूं." बच्चों को लगता है कि शतरंज में अच्छा प्रदर्शन करने से उन्हें भविष्य में आगे बढ़ने के बेहतर अवसर मिलेंगे.