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'पृथ्वी एक दिखती है, कोई सीमा नहीं' अंतरिक्ष से Shubhanshu Shukla का बच्चों से संवाद

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर अपने मिशन के दौरान स्कूली बच्चों के सवालों के जवाब देने के लिए समय निकाला. छात्रों के साथ यह बातचीत इसरो के विद्यार्थी संवाद कार्यक्रम का हिस्सा थी. छात्रों ने अंतरिक्ष जीवन के बारे में जानने के लिए उत्सुकता दिखाई, जैसे अंतरिक्षयात्री क्या खाते हैं, कैसे सोते हैं और अगर वे बीमार पड़ते हैं तो क्या होता है. शुभांशु शुक्ला ने बताया कि अंतरिक्ष में फर्श या छत जैसी कोई चीज़ नहीं होती, इसलिए कोई दीवार पर सोता है तो कोई छत पर. सोते समय खुद को बांधना पड़ता है ताकि तैरते हुए कहीं और ना चले जाएं. शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से पहली बार अपने परिवार से बात की. उन्होंने अपनी मां को सूर्योदय का अद्भुत नज़ारा दिखाया और अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन की वर्चुअल सैर भी कराई. यह नजारा देखकर उनके परिवार वालों के आंखों से आंसू छलक पड़े. शुभांशु शुक्ला ने प्रधानमंत्री मोदी से भी विशेष बातचीत की थी. प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु से पूछा कि अंतरिक्ष की विशालता देखकर सबसे पहला ख्याल क्या आया तो उन्होंने कहा कि "पृथ्वी पूरी एक दिखती है, कोई बॉर्डर नहीं दिखाई देता" शुभांशु शुक्ला 1984 के बाद से अंतरिक्ष में जाने वाले भारत के दूसरे अंतरिक्षयात्री हैं. उनका यह अनुभव भारत के गगनयान मिशन में काम आएगा, जिसका उद्देश्य भारतीय गगनयात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और सुरक्षित रूप से वापस लाना है.