नेपाल में 8 सितंबर से शुरू हुई हिंसा और राजनीतिक संकट के कारण सैकड़ों भारतीय वहां फंसे हुए हैं. इनमें पर्यटक, इलाज करवाने गए मरीज और उनके परिजन शामिल हैं. धीरे-धीरे हालात सामान्य हो रहे हैं और कुछ लोग सुरक्षित देश वापस आ चुके हैं, लेकिन कई अभी भी फंसे हैं. नेपाल से सटे इलाकों को सुरक्षा के लिहाज से सील कर दिया गया है. फंसे भारतीयों की वतन वापसी के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. यात्रियों ने बताया कि उन्होंने सड़कों पर कारें जलते देखीं और 7-8 घंटे ट्रैफिक में फंसे रहे. एक यात्री ने कहा, "जो फिल्मों हमने आज तक देखा है, हमने वह देखा है" होटल वालों ने काठमांडू न जाने की सलाह दी. कई जगहों पर कर्फ्यू लगा है. महाराष्ट्र के पुणे से 30 श्रद्धालु काठमांडू में फंसे हैं, वहीं कैलाश मानसरोवर यात्रा पर निकले विधायक और अयोध्या के नौ श्रद्धालु भी चीन-नेपाल सीमा पर फंसे हैं. एक भारतीय महिला श्रद्धालु को ब्रेन स्ट्रोक आने पर नेपाल के हिलसा जिला प्रशासन ने एयर एंबुलेंस का इंतजाम किया, जिसका 6.5 लाख रुपये का खर्च नेपाल ने ही उठाया. भारतीय सरकार नेपाल में फंसे लोगों की सुरक्षित वापसी को लेकर गंभीर है और सीमावर्ती जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं.