भारत में डीआरडीओ द्वारा रेलगन विकसित की जा रही है, जो बारूद के बजाय इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड का उपयोग करेगी और 200 किलोमीटर तक मार कर सकती है. रेलगन सिस्टम में इलेक्ट्रॉनिक करंट से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड तैयार होता है, जिसके कारण रेलगन में लगा हुआ गोला आवाज़ की रफ्तार से भी छह से सात गुना ज्यादा तेजी से बाहर निकलता है. इसके अतिरिक्त, अमेरिकी एफ-35 और रूसी एसयू-57 लड़ाकू विमानों की तुलना जारी है, जिसमें उनकी क्षमताएं, कीमत और भू-राजनीतिक कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.