भारत ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में गुप्त परमाणु कार्यक्रम शुरू किया. 75 वैज्ञानिकों ने 7 साल तक इस पर काम किया. 1967 से 1974 तक चले इस गोपनीय कार्य की जिम्मेदारी बाबा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉक्टर रमन्ना को दी गई थी. उनकी टीम में डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम भी शामिल थे. भारत का पहला परमाणु परीक्षण बेहद गोपनीय रखा गया, जिसमें 6 किलोग्राम प्लूटोनियम का इस्तेमाल हुआ. यह एक शांतिपूर्ण विस्फोट था. 11 और 13 मई 1998 को राजस्थान के पोखरण में भारत ने 'ऑपरेशन शक्ति' के तहत एक और परमाणु परीक्षण किया. इस परीक्षण ने भारत को परमाणु संपन्न देश बना दिया. अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के सैटेलाइट को चकमा देते हुए यह परीक्षण सफल रहा. अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को परमाणु राष्ट्र घोषित किया. भारत की नीति है कि वह परमाणु हथियारों का प्रयोग करने में पहल नहीं करेगा और जिनके पास परमाणु शस्त्र नहीं हैं, उनके विरुद्ध उनका उपयोग नहीं करेगा. पाकिस्तान ने भी भारत के बाद 28 और 30 मई को परमाणु परीक्षण किए. दोनों देशों की परमाणु नीतियां अलग हैं; पाकिस्तान 'फर्स्ट यूज' नीति पर चलता है, जबकि भारत जवाबी कार्रवाई की बात करता है.