हादसे को हिम्मत में कैसे बदला जाता है ये कोई चंदीप सिंह से सीखे. एक घटना ने चंदीप की पूरी जिंदगी ही बदल कर रख दी. लेकिन उन्होंने हौसला नहीं खोया और वो कर दिखाया जिससे उनका नाम दुनिया में चमकने लगा. 2011 में जब चंदीप सातवीं कक्षा में थे तब एक दुर्घटना में उन्होंने अपने दोनों हाथ खो दिए थे. चंदीप ने उम्मीद नहीं खोई और लगन, दृढ़ संकल्प और साहस का परिचय दिया और उन्होंने न केवल अपनी स्कूली शिक्षा जारी रखी बल्कि पैरा-ताइक्वांडो और तैराकी में भी रुचि लेने लगे. पैरा-ताइक्वांडो में चंदीप अबतक 7 अंतर्राष्ट्रीय मेडल जीत चुके हैं. देखें पूरी कहानी.
Jammu and Kashmir's Chandeep Singh is an inspiration for millions of people. After losing both arms to an electric shock in 2011, Chandeep worked hard and converted his disability into ability, winning several medals for India in Taekwondo. Watch this story.