कश्मीर घाटी में अब उम्मीद का सवेरा दस्तक दे रहा है. घाटी में कचरा और कबाड़ से इको-फ्रेंडली कारोबार खड़ा हो रहा है. कुलगाम में युवा बायोडिग्रेडेबल और नॉन बायोडिग्रेडेबल कचरे का प्रबंधन कर खाद और दूसरे उत्पाद बना रहे हैं. इस पहल से रोजगार का सृजन हो रहा है और घाटी की सूरत बदल रही है. कश्मीर की खूबसूरती के लिए वेस्ट मैनेजमेंट एक बड़ी चुनौती थी. दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के इंजीनियर आमिर अहमद खान ने चार साल पहले एक स्टार्टअप शुरू किया. उन्होंने बायोडिग्रेडेबल कचरे को इकट्ठा करने का नेटवर्क बनाया और उसे ऑर्गेनिक खाद में बदलने का प्लांट लगाया. इस प्लांट में हर महीने सैकड़ों बोरियां ऑर्गेनिक खाद का उत्पादन होता है. आमिर अहमद खान ने बताया, "बायोडिकटेबल वेस्ट को हम एक इन्नोवेटिव तरीके से अपनी टेक्नोलॉजी की मदद से एक बायोफर्टिलाइजर में कॉनवर्ट करते हैं. उसके बाद एक वैल्यू अडिशन बायोफर्टिलाइजर भी हम इसमें ऐड करते हैं, जो हाईडेंसी प्लान्टेशन में बहुत ज्यादा इम्पैक्टफुल है" साल 2021 में उन्होंने नॉन बायोडिग्रेडेबल कचरे को भी रीसाइकल करना शुरू किया. प्लास्टिक और पॉलीथीन से दाने और इको-फ्रेंडली बैग्स बनाए जा रहे हैं. इस स्टार्टअप से दक्षिण कश्मीर के करीब 4000 परिवार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं. यह वही कश्मीर घाटी है जो तीन दशक से ज्यादा वक्त तक आतंकवाद का दंश झेलती रही, लेकिन अब युवा तकनीक की दुनिया में नई इबारत गढ़ रहे हैं.