स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले पर इस बार मेड इन इंडिया 105 एमएम लाइट फील्ड गन्स की गर्जना सुनाई देगी. ये वही तोपें हैं जिनका इस्तेमाल ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुआ था, जिससे पाकिस्तान थर्रा उठा था. इस बार 15 अगस्त को ऑपरेशन सिंदूर के 100 दिन भी पूरे हो रहे हैं. 2022 तक ब्रिटिश 25 पाउंडर गन्स से सलामी देने की परंपरा थी, लेकिन 2023 से सिर्फ स्वदेशी तोपों का ही इस्तेमाल होने लगा है. इन तोपों की मारक क्षमता 17 किलोमीटर से अधिक है और ये प्रति मिनट छह राउंड फायर करती हैं. इन तोपों का वजन इंडियन फील्ड गन से लगभग 1000 किलो हल्का है, जिससे इन्हें ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आसानी से तैनात किया जा सकता है. एक बात स्पष्ट रही की युद्ध में ताकतवर रहने के लिए हमें समय और तकनीक के साथ कदमताल करना होगा और आज के हिंदुस्तान की ताकत दुनिया देख रही है. यह भारत की सैन्य शक्ति और आत्मनिर्भरता का प्रदर्शन है. महाराष्ट्र के देवलाली में आर्टिलरी म्यूजियम में भारतीय तोपखाने का पांच सदी पुराना इतिहास भी मौजूद है.