मुंबई के दो युवाओं, श्रेयांस भंडारी और रमेश धामी ने एक पहल शुरू की है जिसका नाम ग्रीन सोल है. इस पहल के तहत पुराने जूते, खराब टायर और कपड़ों को नया जीवन दिया जा रहा है. इन बेकार सामानों से चप्पल, बैग और मैट बनाए जाते हैं. ग्रीन सोल का उद्देश्य पर्यावरण को बचाना और जरूरतमंद बच्चों को जूते व स्कूल बैग उपलब्ध कराना है. एक संस्थापक ने बताया कि हर साल उनके कई जूते खराब होते थे और उन्हें फेंक दिया जाता था, जिससे उन्हें यह विचार आया कि भारत की 150 करोड़ आबादी में कितने लोग जूते फेंकते होंगे. इस सोच के बाद ग्रीन सोल फाउंडेशन की यात्रा 2013 में शुरू हुई. मुंबई के वसई और भिवंडी में ग्रीन सोल की इकाइयां हैं जहां पुराने जूतों को छांटकर और काटकर नए उत्पाद बनाए जाते हैं. देश भर में ग्रीन सोल के 15 से अधिक संग्रह केंद्र हैं. अमेज़ॅन और एडिडास जैसी कंपनियां भी अपने अस्वीकृत या वापस किए गए जूते ग्रीन सोल को देती हैं. अब तक, ग्रीन सोल 7 लाख से अधिक जूतों को रीसाइकल कर जरूरतमंद बच्चों तक पहुंचा चुका है. उनका लक्ष्य 2026 तक इस संख्या को 10 लाख से ऊपर पहुंचाना है. यह पहल हजारों गरीब बच्चों के पैरों को सुरक्षा और उनके जीवन को नई उम्मीद दे रही है.