निक्की केस में दहेज और घरेलू हिंसा के मुद्दे पर गंभीर सवाल उठे हैं. पैनल में चर्चा के दौरान बताया गया कि कानून जैसे डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट 2005 और दहेज प्रतिषेध अधिनियम मौजूद हैं, लेकिन परिवार और समाज की सोच में बदलाव नहीं आया है. निक्की जैसी पढ़ी-लिखी और आत्मनिर्भर महिला भी प्रताड़ना का शिकार हुई. पेरेंट्स द्वारा बेटी की शिकायत को नजरअंदाज करना और पंचायत द्वारा लड़की को वापस भेजना, इन समस्याओं को और बढ़ाता है. एक वक्ता ने कहा, “अगर इंसान वह हथियार का प्रयोग करना चाहता है, वह लड़की इतनी परेशान थी, इतनी प्रताड़ित थी” समाज, परिवार और कानून की सामूहिक जिम्मेदारी है कि महिलाओं को सुरक्षा और अधिकार मिलें. बच्चों की मानसिक स्थिति भी ऐसे माहौल में प्रभावित होती है. शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं.