महानगरों में रहने वाले किरायेदारों के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई है. रियल एस्टेट प्लेटफॉर्म नो ब्रोकर की रिपोर्ट के अनुसार, तीन साल बाद मेट्रो शहरों में घरों का किराया बढ़ने की दर में गिरावट दर्ज की गई है. इस साल के पहले छह महीनों में किराये में वृद्धि की दर 7-9 प्रतिशत रही, जबकि 2021 से 2024 तक यह सालाना 12 से 24 फीसदी तक बढ़ी थी. रिपोर्ट बताती है कि नए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स का तैयार होना, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी इस गिरावट की मुख्य वजहें हैं. मांग के मुकाबले हाउसिंग सप्लाई अधिक होने से किराये में स्थिरता आ रही है. बैंगलोर, चेन्नई, दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद, मुंबई और पुणे में किराये स्थिर हुए हैं. लोगों का कहना है कि "सैलरी या बाकी चीजें बढ़ नहीं रही हैं तो किराया भी एक स्तर पर होना चाहिए" हालांकि, प्रॉपर्टी मालिकों के लिए, खासकर जिन्होंने ईएमआई पर घर खरीदा है, किराये में स्थिरता से नुकसान हो सकता है क्योंकि प्रॉपर्टी का एप्रिसिएशन धीमा हो सकता है. यह रिपोर्ट उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जिनका मासिक बजट किराये के कारण प्रभावित होता है.