उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक सरकारी स्कूल की छोटी सी इमारत ने एक नया प्रयोग किया है. यह बिल्डिंग दरअसल एक क्लासरूम है, जिसे गन्ने के वेस्ट से बनी ईंटों से तैयार किया गया है. यह दुनिया का पहला ऐसा कंस्ट्रक्शन है जो गन्ने के वेस्ट से बना है. गन्ने का जूस निकालने के बाद बचे बुरादे से ईंटें बनाई गई हैं. ये ईंटें सामान्य ईंटों के मुकाबले हल्की हैं और भूकंप रोधी भी हैं. इस क्लासरूम में प्रदूषण का स्तर बाहर के मुकाबले काफी कम रहता है. एक मीटर के अनुसार, बाहर पीएम 2.5 लगभग 80 था, जबकि अंदर 14 और पीएम 10 लगभग 26 था. यह क्लासरूम बच्चों को पर्यावरण संरक्षण और वेस्ट के सही उपयोग का संदेश देता है. जैसा कि बताया गया, "कोई भी वेस्ट बेकार नहीं है। उसका यूज़ किया जा सकता है और यूज़ करके उसे इस तरीके से बेहतरीन यूज़ करके हम इंसानों के लिए भी और अन्य जीवजंतुओं के लिए भी एक बेहतर वातावरण का निर्माण कर सकते हैं." यह प्रयोग यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट लंदन और इंडिया की केमिकल सिस्टम टेक्नोलॉजी की खोज है. यह क्लासरूम सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडा रहता है. यह एक सैंपल क्लास है, जिससे भविष्य में ईंट भट्टों से निकलने वाले धुएं से मुक्ति मिल सकती है.