नोएडा पुलिस ने फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाने वाले एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने इस मामले में गिरोह के सरगना समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान अभिमन्यु गुप्ता और धर्मेंद्र गुप्ता के रूप में हुई है, जो मूल रूप से कानपुर के रहने वाले हैं और नोएडा में रहकर अवैध गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे. पुलिस ने इनके कब्जे से 66 फर्जी मार्कशीट, 7 माइग्रेशन सर्टिफिकेट, 22 रिज्यूम, 14 प्लेन परीक्षा कॉपी, 9 डेटशीट, 4 फर्जी मुहर, 2 लैपटॉप, 2 प्रिंटर, 2 लग्जरी कारें और अन्य सामान बरामद किया है. आरोपी बेरोजगार लोगों, परीक्षा में फेल हुए छात्रों और नौकरी की आयु सीमा पार कर चुके व्यक्तियों को निशाना बनाते थे. वे गूगल से जानकारी इकट्ठा कर फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे और इनके बदले 80,000 से 2,00,000 रुपये तक वसूलते थे. वहीं, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक बड़ा स्कॉलरशिप घोटाला सामने आया है, जिसमें 40 से अधिक शैक्षणिक संस्थान शामिल हैं. इन संस्थानों पर उन छात्रों के नाम पर सरकारी फंड लेने का आरोप है जो केवल कागजों में थे, असल में मौजूद नहीं थे. जांच में पता चला कि इन संस्थाओं को केवल आठवीं और दसवीं तक की मान्यता थी, लेकिन उन्होंने ग्यारहवीं-बारहवीं के छात्रों का रजिस्ट्रेशन कर प्रति छात्र 5700 रुपये की दर से स्कॉलरशिप ली और कुल 57 लाख रुपये की रकम सरकारी खजाने से निकाल ली. इस मामले में पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सहायक संचालक की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई है. कांग्रेस ने इस मामले पर बीजेपी सरकार पर हमला बोला है. पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री कृष्णा गौर ने कहा है कि “जो कार्रवाई जो गड़बड़ियां हुई है वो मेरे कार्यकाल के पूर्व की हुई है और इसलिए हम पूरी जितनी गड़बड़ियां हुई है उनको निकाल कर संज्ञान के साथ उस पर हम पूरी नजर रखे हुए हैं और जो भी दोषी होगा उस पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करेंगे.”