परमाणु बम दो तरह के होते है. 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बम फ्यूज़न बम थे. 1950 के शुरुआती साल में तैयार हुए फ्यूज़न बम कई गुना ज्यादा ताकतवर थे. इसी को ध्यान में रखते हुए 8 दिसंबर 1953 को अमेरिकी राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र में 'ऐट एएम फॉर पीस' शीर्षक से भाषण दिया. उन्होंने कहा था, 'परमाणु तकनीक का इस्तेमाल जब सैन्य मकसद के लिए किया जाता है तो यह मानवता के लिए एक भयानक खतरा बन जाता है। परमाणु हथियारों को सिर्फ सैनिकों के हाथों से छीन लेना काफी नहीं होगा। उसे उन लोगों के हाथों में देना चाहिए जो इसे शांति के लिए इस्तेमाल करना जानते हैं।' इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया, जिसका मकसद परमाणु सामग्री को मानव कल्याण के लिए उपयोगी बनाना था. IAEA परमाणु संयंत्रों का निरीक्षण, यूरेनियम के इस्तेमाल की निगरानी और परमाणु विकिरण को सीमित रखने का काम करती है. परमाणु हथियारों की दौड़ तेज होने पर संयुक्त राष्ट्र ने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) तैयार की, जिस पर 1 जुलाई 1968 से 5 मार्च 1970 के बीच कई देशों ने हस्ताक्षर किए.