ओडिशा के मयूरभंज जिले की पहचान डोकरा आर्ट से है. यह धातु कला लगभग 1000 साल पुरानी है और आज भी यहाँ की मिट्टी और कारीगरों की मेहनत से जीवित है. डोकरा कला की विरासत को संभालने की पहल की जा रही है. इसमें मोम और धातु से मूर्तियां तथा सजावटी सामान बनाए जाते हैं. ये कलाकृतियां स्थानीय बाजारों के साथ-साथ देश-विदेश में भी अपनी पहचान बना चुकी हैं. इन कलाकृतियों में परंपरा और कारीगरों की आत्मा बसती है. मयूरभंज के करीब 60 परिवार इस कला को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ा रहे हैं. बदलते समय और मशीनों के दौर ने चुनौतियां खड़ी की हैं, लेकिन कारीगरों की लगन के कारण डोकरा आर्ट फिर से नई उड़ान भर रही है. कारीगर सोशल मीडिया पर भी इस कला को प्रदर्शित कर रहे हैं. इस कला से बनी हर कृति एक कहानी बयां करती है.