कला वो साधना है जो शरीर के जाने के बाद भी सदियों तक साक्षात रहती है. लखनऊ के कथक को दुनिया के मंच पर जीवित करने वाले पंडित बिरजू महाराज की सगीत यात्रा भी युगों युगों तक उनके शिष्यों के लिए प्रेरणा बनती रहेगी. पंडित जी ने अपने 70 साल की संगीतमय सफर में कथक नृत्य की जो बगिया खिलाई है, उसके फूलों की सुगंध अनवरत दुनिया को ताजी सुगंध देती रहेगी.