संतों की वाणी को लेकर समाज में एक नई बहस छिड़ गई है. प्रेमानन्द जी और अनिरुधाचार्य जी द्वारा महिलाओं पर दिए गए बयानों को लेकर आम जनता और विशेषज्ञों में अलग-अलग राय है. कई लोगों का मानना है कि साधु-संतों को ऐसे बयान देने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे समाज में गलत संदेश जाता है. कुछ लोगों ने इन बयानों को महिलाओं के प्रति अशोभनीय बताया है और कहा है कि उनकी दुकानें महिलाओं से ही चल रही हैं. एक विशेषज्ञ ने कहा कि "ये सिर्फ इन्सेक्युरिटी है एंड थिस इन्सेक्युरिटी इस शाउटिंग लाउड फ्रम दी माउथ ऑफ ऑल दीज मेन इनकी ईगो इतनी बुरी तरह हर्ट हो रही है. एंड दे अरे नॉट एबल टु सी वीमेन बिकमिंग सक्सेसफुल ये जो संस्कृति के नाम पर इतना सा बोला जा रहा है ये सिर्फ वीमेन को नीचा दिखाने के लिए बोला जा रहा है" चर्चा में यह भी सामने आया कि आधुनिकता और विदेशी संस्कृति के प्रभाव से समाज में कुछ बदलाव आए हैं. मोबाइल जैसी तकनीक के फायदे और नुकसान दोनों हैं. स्वामी विवेकानंद के विचारों का भी उल्लेख किया गया कि कैसे विचार कार्यों में और कार्य आदतों में बदलते हैं.