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श्री सत्यनारायण व्रत कथा: जब कंजूस सेठ ने तोड़ा अपना वचन... देखिए अच्छी बात धीरेंद्र शास्त्री के साथ

श्री स्कंद पुराण के रेवाखंड के सत्यनारायण कथा के तृतीय अध्याय में एक साधु नामक वैश्य की कहानी है, जिसने संतान प्राप्ति और फिर पुत्री कलावती के विवाह के बाद भी सत्यनारायण व्रत करने का अपना वचन पूरा नहीं किया. वचन भंग करने पर उसे और उसके दामाद को राजा चंद्रकेतु के नगर में कारावास का दंड मिला और घर पर भी चोरी हो गई, जिससे उसका परिवार दरिद्र हो गया. कथा का सार है, "या तो प्रतिज्ञा करो मत करो तो पूरी करो, नहीं तो करो मत," और अंततः पत्नी लीलावती द्वारा व्रत करने पर भगवान सत्यनारायण की कृपा से सभी संकट दूर हुए.