तनोट माता को रुमाल वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है. 1965 की जंग में पाकिस्तान में हाहाकार मच गया, लेकिन मां तनोट के चमत्कार का हिस्सा पूरी दुनिया में मशहूर हो गया. पाक सेना के अधिकारी शाहनवाज खान ने युद्ध समाप्ति के बाद भारत सरकार से माता के दर्शन की इजाजत मांगी थी. करीबन ढाई साल बाद इजाजत मिलने पर शहनवाज खां ने माता के दर्शन करके यहां छत्र चढ़ाया. मां के प्रति आस्था रखने वाले भक्त मंदिर में अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए रुमाल बांधते हैं और मनोकामना पूरी हो जाने के बाद भक्त मां का आभार व्यक्त करने के लिए आते हैं और रुमाल खोल देते हैं. मंदिर परिसर में लाखों ऐसे श्रद्धालु के रूमाल बंधे हुए हैं. यहां एक विजय स्तंभ भी बनवाया गया है. ये स्तंभ भारतीय सैनिकों की वीरता की याद दिलाता है. बीएस ऐफ मानती है कि मां तनुट के आशीर्वाद से वो और उनका मुल्क महफूज है.