scorecardresearch

Uttarakhand में विलुप्त पौधों को बचाने की अनूठी पहल, फिर से उगाईं 14 दुर्लभ प्रजातियों के पौधे, देखिए

उत्तराखंड वन विभाग की अनुसंधान टीम ने देश में विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके कुछ पौधों को संरक्षित करने का प्रयास किया है. ये पौधे दुर्लभ प्रजाति के हैं और मुख्य रूप से इनका इस्तेमाल दवाइयों के रूप में होता है. उत्तराखंड में संकटग्रस्त वनस्पति प्रजातियों को बचाने की यह एक अनूठी पहल है. वन विभाग ने दुर्लभ पौधों की प्रजातियों को उनके प्राकृतिक स्थलों में पुनर्स्थापित करने की योजना बनाई है. अनुसंधान टीम ने वर्षों की मेहनत से विलुप्त हो रही 14 प्रजातियों को फिर से उगाया है. इसमें उत्तराखंड के हिमालय क्षेत्र और अनेक क्षेत्रों में बिल्कुल समाप्त हो रहे पौधों को लेकर रिसर्च की गई, जिसके बाद अब इन 14 प्रजातियों को उनके मूल स्थान पर लगाया जा रहा है. इसे उत्तराखंड वन विभाग के वन अनुसंधान केंद्र की एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है. एक अधिकारी ने बताया, "तीन से 4 साल बड़ी मेहनत की हमारी टीम ने उच्च हिमालयी क्षेत्रों में और इसमें से लगभग तीन चौथाई प्रजातियां बहुत ही दुर्गम हिमालयी क्षेत्रों में हैं तो हम इनको पिथौरागढ, चमोली और उत्तरकाशी के जो बहुत ही उच्च हिमालयी क्षेत्र हैं लगभग 11 से 12,000 फिट के। वहाँ पे हमारे जो फील्ड स्टाफ और हमारी टीम इनको दोबारा जो है, पुनर्वासित करने में लगी हुई है." इन पौधों को बीज और अन्य भागों जैसे राइजोम या रूट से तैयार किया गया है. तीन से चार साल की अवधि में पर्याप्त संख्या में स्वस्थ पौधे तैयार होने के बाद, उन्हें पहले से चिन्हित और जीपीएस-समन्वित प्राकृतिक पुनर्वास स्थलों पर फिर से स्थापित किया जा रहा है.