होली के रंग सबके लिए होते हैं, क्या अपना क्या पराया. क्या दोस्त और क्या दुश्मन. होली नाम ही हर तरह के भेद को मिटा देने का है, क्योंकि होली सबके लिए है, उनके लिए भी जिनकी जिंदगी बेरंग है. फागुन की मस्ती में जब सब डूबे हैं....तो वृंदावन में विधवा माताओं की जिदंगी बेरंग कैसे रह सकती है. बांके बिहारी के धाम वृन्दावन में सैकड़ों साल पुरानी परंपराओं की दीवार तोड़कर, एक नई शुरुआत की गई और उन विधवा माताओं पर भी होली का रंग चढ़ा, जिनका जीवन में रंगों की चमक-दमक से दूर है.