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नेपाल के इस गांव को कहा जाता है किडनी वैली, कम उम्र में ही किडनी बेच देते हैं यहां के लोग

होकसे में अधिकतर युवक 18-20 साल की उम्र में ही किडनी बेच देते हैं. धीरे-धीरे ये ऐसा चलन बन गया है कि जब भी किसी परिवार को पैसों की जरूरत होती है, तो एक किडनी की कुर्बानी दी जाती है.

Hokse village Nepal Hokse village Nepal
हाइलाइट्स
  • 'किडनी बेचने' का रिवाज जैसा बन गया है

  • छोटा सा ऑपरेशन, और जिंदगी बदल जाती है

नेपाल का गांव होकसे दुनिया के नक्शे पर अपनी खूबसूरत वादियों के लिए नहीं, बल्कि एक बेहद कड़वी सच्चाई के लिए जाना जाता है. इसे लोग 'किडनी वैली' के नाम से जानते हैं. वजह ये है कि यहां हर घर से कोई न कोई व्यक्ति अपनी किडनी बेच चुका है. ये कोई बीमारी की वजह से नहीं हुआ, बल्कि गरीबी की मार ने गांव के लोगों को इस रास्ते पर धकेल दिया.

'किडनी बेचने' का रिवाज जैसा बन गया है
यहां रहने वाली गीता बताती हैं कि करीब दस साल पहले उन्होंने एक व्यक्ति की बातों में आकर अपनी किडनी निकाल दी. बदले में उन्हें लगभग 1.25 लाख रुपये मिले. उस वक्त ये रकम उनके लिए किसी खजाने से कम नहीं थी. लेकिन आज जब वो पीछे मुड़कर देखती हैं तो कहती हैं, "ये ख्वाब सुधारने का तरीका नहीं था, ये तो शरीर को तिल-तिल तोड़ने वाला सौदा निकला."

होकसे में अधिकतर युवक 18-20 साल की उम्र में ही किडनी बेच देते हैं. धीरे-धीरे ये ऐसा चलन बन गया है कि जब भी किसी परिवार को पैसों की जरूरत होती है, तो एक किडनी की कुर्बानी दी जाती है.

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छोटा सा ऑपरेशन, और जिंदगी बदल जाती है
यहां के निवासी केनाम तमांग कहते हैं, "एक छोटा सा ऑपरेशन होता है, दो दिन में सब सामान्य लगने लगता है." गांववालों के लिए अब ये सामान्य बात बन गई है जैसे किसी काम के बदले मजदूरी मिलती हो, वैसे ही किडनी के बदले पैसा.

गरीबी ने छीन ली किडनी
गरीबी ने इस गांव की नसों से न केवल खून खींचा, बल्कि शरीर का एक अहम अंग भी छीन लिया. सालों से दलाल इस इलाके में आते रहे, लोगों को बहलाते-फुसलाते रहे कि किडनी बेचने से जिंदगी सुधर जाएगी. कुछ को तो ये तक कहा गया कि किडनी दोबारा उग आएगी. कई लोगों ने अपनी किडनी बेच दी, पर जो कीमत उन्हें मिली, वो जिंदगी से कहीं ज्यादा छोटी निकली. कुछ की हालत इतनी बिगड़ गई कि वे जिंदगी की जंग ही हार बैठे.

हर साल सैकड़ों युवा नेपाल से खाड़ी देशों और मलेशिया कमाने जाते हैं. मकसद सिर्फ इतना कि परिवार को बेहतर जिंदगी मिले लेकिन वहां की कड़ी धूप, 50 डिग्री तक का तापमान और 16-16 घंटे की शिफ्ट अब उनकी किडनी को निगल रही है.