संगम नगरी प्रयागराज में गंगा और यमुना दोनों नदियां खतरे के निशान से डेढ़ मीटर ऊपर बह रही हैं. अभी भी गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. बाढ़ से लोगों के एक मंजिला मकान डूब चुके हैं, लोग दूसरी मंजिल पर शरण लिए हुए हैं. एक तरफ जहाँ बाढ़ तो परेशान कर ही रही है, वहीं दूसरी तरफ बारिश ने भी लोगों को बेहाल कर दिया है.
कुछ समाजसेवी लोगों को दूध, ब्रेड, पानी भी बाँट रहे है. लेकिन कई लोग ऐसे हैं जिनके पास अभी सरकारी मदद नहीं पहुंच पाई है. गंगा और यमुना नदियों ने जिस तरह का रौद्र रूप धारण किया है. लोगों को 1978 में आई बाढ़ की यादें ताजा हो रही हैं. जिला प्रशासन के मुताबिक जिले में 107 शहरी मोहल्ले और गांव बाढ़ की चपेट में हैं.
कई गांव का संपर्क शहर से कट गया है. मोहल्ले की गलियों में नावें चल रही हैं. 159 नावों का इंतजाम लोगों को बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों से निकालने के लिए किया गया है.
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और जल पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया है. शहरी क्षेत्र में बनाए गए 18 बाढ़ राहत शिविरों में अब तक 7000 से ज्यादा लोग शरण लिए हुए हैं.
छोटा बघाड़ा इलाके में गलियों में नावें चल रही हैं. इस इलाके में बड़ी संख्या में प्रतियोगी छात्र रहते हैं, जो कि पर यहां फंसे हुए हैं. कई मकान मालिक भी अपने घरों को छोड़कर नहीं जा रहे हैं. क्योंकि उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि अगर वह घर छोड़कर गए तो उनके बंद घरों में चोरी हो सकती है.
कई इलाकों में अब तक प्रशासनिक मदद नहीं पहुंची है. हालांकि स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधि और समाजसेवी लोगों की मदद के लिए नाव के जरिए जरूरी सामान मुहैया करा रहे हैं. यहां पर लोगों तक दूध,ब्रेड,पीने का पानी और केला पहुंचाया जा रहा है. हालांकि प्रशासन भी लोगों से लगातार अपील कर रहा है कि लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर चले जाएं.
(पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट)