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ATM for Animals: मुंबई में लगे 20 अनोखे एटीएम! एटीएम यानी एनी टाइम मील, स्ट्रीट डॉग्स और बिल्लियों को मिल रहा प्यार भरा निवाला

मुंबई की ये अनोखी पहल ‘पेट नहीं भूख देखो’ जैसे संदेश को साकार करती है. जहां शहरी जीवन में इंसानों के लिए भी समय की कमी है, वहां इन बेजुबान जीवों के लिए इतना प्यार और सेवा अद्भुत है. 

Animal ATM Mumbai Animal ATM Mumbai

 

जब हम एटीएम (ATM) का नाम सुनते हैं तो हमारे दिमाग में सबसे पहले पैसे निकालने वाली मशीन का ख्याल आता है. लेकिन मुंबई में एटीएम का एक अनोखा और बेहद प्यारा रूप सामने आया है- एनी टाइम मील (Any Time Meal). जी हां, यहां ये एटीएम न नोट निकालते हैं, न बैलेंस बताते हैं, बल्कि शहर की सड़कों पर रहने वाले बेजुबान जानवरों के लिए 24x7 खाना उपलब्ध कराते हैं.

पिछले 9 साल से चल रही पहल 
इस नेक पहल को ‘शेरी एंड दिया फाउंडेशन’ ने पिछले 9 सालों से चलाया हुआ है, और अब तक मुंबई में कुल 20 एटीएम लगाए जा चुके हैं. ये एटीएम कुत्तों, बिल्लियों और यहां तक कि पक्षियों के लिए भी भोजन उपलब्ध कराते हैं. भायखला, ग्रांट रोड, कमाठीपुरा, मुंबई सेंट्रल और मझगांव जैसे इलाकों में इन एटीएम को स्थापित किया गया है.

संस्थापक राकेश कोठारी बताते हैं कि इस विचार की प्रेरणा उन्हें अपने घर के पालतू डॉग ‘शेरी’ से मिली. कोरोना काल में जब हर कोई घर में कैद था, तब भी उन्होंने स्ट्रीट एनिमल्स का ख्याल रखा. यही जज़्बा आज 20 एनी टाइम मील एटीएम में बदल चुका है, जो रोजाना सैकड़ों जानवरों को पोषण और सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं.

 

एटीएम से जानवरों को क्या-क्या मिलता है?
इन एटीएम में रोजाना 3000 ताज़ी रोटियां, 2000 पैकेट दूध और बिस्किट रखे जाते हैं. जानवर अपने समय पर यहां आकर खाना खाते हैं और फिर अपने रास्ते चले जाते हैं. यह पूरी प्रक्रिया न सिर्फ उन्हें भूख से राहत देती है, बल्कि इंसानों और जानवरों के बीच एक दया और अपनापन भी कायम करती है.

रेडियम पट्टा और शेल्टर
मानसून के दौरान अक्सर सड़क पर घूमने वाले जानवर एक्सीडेंट का शिकार हो जाते हैं. इसे देखते हुए फाउंडेशन ने सभी जानवरों के गले में रेडियम पट्टे (Reflective Collars) बांधना शुरू किया है, ताकि रात में वाहन चालक दूर से ही इन्हें देख सकें.

इतना ही नहीं, शेरी एंड दिया फाउंडेशन ने एक शेल्टर रूम भी बनाया है, जहां घायल कुत्तों और बिल्लियों का इलाज किया जाता है. स्थानीय अस्पतालों के सहयोग से इलाज की सुविधा मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती है.

शेल्टर इंचार्ज अमित शुक्ला ने बताया कि रोजाना कई घायल जानवर यहां इलाज के लिए लाए जाते हैं और उन्हें ठीक होने तक देखभाल दी जाती है.

बीएमसी और लोकल प्रशासन का सहयोग
इस पहल में बीएमसी (BMC) भी फाउंडेशन के साथ मिलकर कार्य कर रही है. आने वाले समय में एटीएम की संख्या बढ़ाकर 100 तक की जा सकती है, जिसकी प्रक्रिया चल रही है. फाउंडेशन हर एटीएम को प्रतिदिन साफ करता है, फिर उसमें ताजा भोजन डाला जाता है. एक एटीएम बनाने में लगभग ₹15,000 की लागत आती है और पूरे महीने में ₹3-4 लाख का खर्चा फाउंडेशन वहन करता है.

 

(धर्मेंद्र दुबे की रिपोर्ट)