Saroj writing exam 
 Saroj writing exam कहते हैं कि उम्र महज एक संख्या है और मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में एक 80 वर्षीया महिला इस बात को सच साबित करती नजर आयीं. शहर के डीएचएस कॉलेज में मंगलवार को एक दिलचस्प नजारा देखने को मिला. दरअसल, एक 80 साल की वृद्धा अपने पोते और बहू के साथ डिप्लोमा की परीक्षा देने पहुंची.
जिस उम्र में लोगों की याददाश्त कम होने लगती है उस उम्र में परीक्षा देने पहुंची इस वृद्धा को देखकर हर कोई हैरान था. क्योंकि हमारे देश में 80 वर्ष की आयु में लोग हाथ में छड़ी लेने की सोचते हैं न कि पेन, वह भी परीक्षा देने के लिए.
यह कहानी है सरोज अरोरा की, जो पहले एक शिक्षिका एवं शिक्षाविद रह चुकी हैं. फिलहाल वह इंदिरा भोज मुक्त विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त सेंटर डेनियलसन डिग्री कॉलेज से फूड एवं न्यूट्रिशन में डिप्लोमा कर रही हैं.
नाती और बहू के साथ पहुंची परीक्षा के लिए:
सरोज डिप्लोमा की परीक्षा देने आई हुई थीं. इस परीक्षा को पास करने के बाद वह एक सर्टिफाइड डाइटिशियन एवं आहार विशेषज्ञ बन जाएंगी. परीक्षा केंद्र पर उनके साथ उनकी बहू और नाती भी दिखे. दिलचस्प बात यह है कि अरोरा परिवार की तीन पीढ़ियां एक साथ एक ही दिन एक ही डिग्री की परीक्षा दे रही थीं.
दरअसल, सरोज अरोरा के साथ उनकी बहू डॉ. सुनीता अरोरा ( 47 वर्ष) जो एक सफल होम्योपैथिक चिकित्सक हैं तथा उनका नाती इंजीनियर ओम बत्रा (24 वर्ष) को देखा गया. वे भी परीक्षा देने आए थो.
पूरे परिवार को है पढ़ाई में दिलचस्पी:
सरोज अरोरा ने बताया कि अध्ययन के प्रति उनके पूरे परिवार की विशेष रूचि रहती है. उन्हें इस उम्र में भी विश्वविद्यालय की पढ़ाई के लिए उनके बेटे डॉ. गौरव अरोरा और बहू डॉ. सुनीता अरोरा का पूरा साथ मिला. सुनीता वर्ष 2014 में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से बी. एच.एम. एस. की साढ़े पांच वर्षीय स्नातक डिग्री में प्रवेश लिया था.
कुछ समय पहले ही उन्होंने संपूर्ण विश्वविद्यालय में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर गोल्ड मैडल के साथ 46 वर्ष की उम्र में डिग्री प्राप्त की. यह जबलपुर विश्वविद्यालय के इतिहास में अद्वितीय उपलब्धि है.
जिएं खुशनुमा जिंदगी:
सरोज सबको सकारात्मक जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं. उन्होंने बताया कि पिछले महीने ही उनके पति इंजीनियर बीरबल अरोरा का स्वर्गवास हुआ है. जिसके कारण वह और उनका पूरा परिवार शोकग्रस्त थे लेकिन जल्दी ही अपने अवसाद से निकलकर उन्होंने अपने परिवार को पढ़ाई में लगा दिया.
उन्होंने अपने हमउम्र बुजुर्ग साथियों को संदेश देते हुए कहा कि स्वयं को रिटायर एवं बेकार समझने के बजाय अपनी उर्जा को सकारात्मक कार्यों में लगाना चाहिए. जिससे वृद्धावस्था खुशनुमा एवं सुखद हो जाती है.
उम्र के कारण शरीर में होने वाले परिवर्तनों एवं कमजोरी को रोका तो नहीं जा सकता लेकिन व्यायाम, मेडिटेशन, उचित आहार और लगातार अध्ययन करने से आप एक सुखद, शांत व आनंददायक जी सकते हैं. बुढापा सिर्फ एक आंकड़ा है जिसे आप अपनी जीवन शैली से परास्त कर सकते हैं.
(पवन शर्मा की रिपोर्ट)