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कॉन्सटेबल की रिटायरमेंट पर SP ने कराया बरसों पुराना सपना पूरा... कुछ अलग अंदाज में दिया सम्मान... कहानी आपका दिल छू लेगी

IIT दिल्ली से पढ़े, 2018 बैच के आईपीएस अधिकारी अर्चित चांडक इससे पहले भी अपनी रचनात्मक और मानवीय कार्यशैली के लिए पहचाने जाते रहे हैं.

SP Archit Chandak fulfilled constable's dream SP Archit Chandak fulfilled constable's dream

महाराष्ट्र के अकोला में पुलिस अधीक्षक कार्यालय में शनिवार को रिटायरमेंट समारोह आयोजित किया गया था. लेकिन यह एक सामान्य सरकारी कार्यक्रम से बढ़कर कुछ ऐसा इवेंट बन गया कि इसी हर तरफ चर्चा हो रही है. इस कार्यक्रम में कुछ ऐसा हुआ कि न केवल वहां मौजूद अफसरों और कर्मचारियों की आंखें नम हुईं, बल्कि सोशल मीडिया पर भी लगातार इसकी चर्चा हो रही है. 

छह पुलिसकर्मियों के सेवा निवृत्ति समारोह में जब आरक्षक अरुण घोरमोडे अपनी बेटी के साथ मंच पर पहुंचे, तो बेटी ने मंच से सहजता से कह दिया, “पापा का एक सपना था कि वह वर्दी में बुलेट पर बैठें.... लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते कभी पूरा नहीं हो सका.” यह बात सुनते ही माहौल एक पल को शांत हो गया. और फिर जो हुआ, उसने हर किसी का दिल छू लिया.

बरसों का सपना रिटायरमेंट पर हुआ पूरा
एसपी अर्चित चांडक ने तुरंत अपने स्टाफ को आदेश दिया, “बुलेट लाओ.” कुछ ही मिनटों में एक बुलेट बाइक लाई गई. वर्दी में सजे घोरमोडे उस पर बैठे और खुद एसपी चांडक उनके पीछे बैठे. ये सिर्फ एक फोटो या शो ऑफ नहीं था. यह एक अफसर की संवेदनशीलता और एक सिपाही के सम्मान की जीती-जागती मिसाल थी. 

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वहां मौजूद लोगों ने तालियों से इसका स्वागत किया. कई की आंखों में आंसू थे. कुछ देर के लिए सारा आयोजन भावुकता से भर गया. पुलिस विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “यह सिर्फ बुलेट पर बैठने की बात नहीं थी, यह सम्मान, आत्मसम्मान और जीवन भर की निस्वार्थ सेवा को श्रद्धांजलि थी.”

“एक छोटा कदम, बड़ा संदेश”
यह पूरी घटना पूरी तरह से सहज और आत्मिक थी, इसमें कोई औपचारिकता या दिखावा नहीं था. एसपी चांडक ने जो किया, वह वर्दी के पीछे के मानवीय चेहरे को उजागर करता है, जहां अनुशासन और संवेदना साथ-साथ चलती हैय 

IIT दिल्ली से पढ़े, 2018 बैच के आईपीएस अधिकारी अर्चित चांडक इससे पहले भी अपनी रचनात्मक और मानवीय कार्यशैली के लिए पहचाने जाते रहे हैं. नागपुर में डीसीपी रहते ट्रैफिक सुधारों के लिए और अकोला में हाल ही में, एक पीएसआई पर कार्रवाई के लिए वे सुर्खियों में रह चुके हैं. 

आरक्षक अरुण घोरमोडे के लिए यह क्षण किसी मेडल से कम नहीं था. बरसों पुराना सपना- वर्दी में बुलेट पर बैठना, जिसे एसपी चांडक ने सिर्फ सुना नहीं, बल्कि पल में साकार कर दिया, यह एक अफसर का नहीं, एक इंसान का फैसला था. और यही उसे खास बनाता है. 

(धनंजय साबले की रिपोर्ट)