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Climate Responsive Paint: मौसम के हिसाब से रंग बदलता पेंट... 15 से 30 प्रतिशत तक कम होगा बिजली खर्च

यह बात तो मशहूर है कि हल्के रंग की इमारतें गर्मी को परावर्तित करती हैं और ठंडी रहती हैं, जबकि गहरे रंग की दीवारें गर्मी को सोखती हैं.

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अमेरिका के न्यूयॉर्क के रहने वाले जो ड्यूसेट ने पर्यावरण अनुकूल पेंट ईजाद किया है. यह ऐसा पेंट है जो मौसम के हिसाब से रंग बदलता है. ड्यूसेट ने  कैटोना में एक नया घर खरीदा, और उन्होंने इसे हर तरह से पर्यावरण अनुकूल बनाने का फैसला किया. उन्होंने CNN को बताया, "एक चीज़ जिसके बारे में मैंने पहले ज्यादा नहीं सोचा था, वह था कि मुझे घर किस रंग से पेंट करना चाहिए?"

यह बात तो मशहूर है कि हल्के रंग की इमारतें गर्मी को परावर्तित करती हैं और ठंडी रहती हैं, जबकि गहरे रंग की दीवारें गर्मी को सोखती हैं- जैसे कि ठंडे स्कैंडेनेविया में काले रंग के घर आम हैं, जबकि मेडिटेरनियन इलाकों में सफेद रंग के घर प्रचलित हैं. लेकिन न्यूयॉर्क जैसे इलाके के लिए, जहां गर्मियां गर्म होती हैं और सर्दियों में बर्फबारी होती है, कौन सा रंग सबसे उपयुक्त रहेगा?

कैसे हल की परेशानी 
ड्यूसेट ने इसका जवाब ढूंढने के लिए अपने घर के छोटे-छोटे 3D-मॉडल बनाए, जिनमें उसी तरह की इन्सुलेशन थी, और उन्हें अलग-अलग रंगों से रंगा. एक साल तक ट्रायल करने के बाद, उन्हें पता चला कि सर्दियों में काले मॉडल के अंदर का तापमान औसतन सफेद मॉडल से 7 डिग्री फ़ारेनहाइट ज्यादा था. वहीं गर्मियों में, सफेद मॉडल 12 डिग्री फ़ारेनहाइट ज्यादा ठंडा था. 

ड्यूसेट ने थर्मोक्रोमिक प्रतिक्रिया (Thermochromic Response) पर आधारित पेंट बनाने की कोशिश की, जो तापमान के अनुसार रंग बदलती है. उन्होंने लिक्विड क्रिस्टलों को मिलाकर एक थर्मोक्रोमिक पिगमेंट तैयार किया और इसे साधारण हाउसपेंट में मिलाकर प्रयोग किए. यह पेंट एक निश्चित तापमान से ऊपर जाकर रंग बदलता था, जैसे ही तापमान बढ़ा, यह UV किरणें सोखते हुए हल्का रंग लेने लगा.

बनाया क्लाइमेट रिस्पॉन्सिव पेंट 
हालांकि, शुरुआत में ये पेंट सूर्य के संपर्क में आने से धीरे-धीरे खराब होने लगा, लेकिन एक साल की मेहनत के बाद ड्यूसेट ने इसमें एक सेफ कंपाउंड मिलाया जो इसकी उम्र बढ़ा देता है. अब उनका क्लाइमेट रिस्पॉन्सिव पेंट 77°F (25°C) से नीचे “बहुत गहरा ग्रे” दिखता है और जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, इसका रंग हल्का होता जाता है.

उनका कहना है कि यह पेंट विशेष रूप से उन जगहों के लिए उपयोगी है, जहां जलवायु गर्म और ठंडी दोनों होती है जैसे उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया के बड़े हिस्से, जहां गर्मियों में तापमान 50°F से ऊपर और सर्दियों में 26.6°F से नीचे नहीं जाता. 

बदलते मौसम के साथ बदलता रंग
2023 दुनिया का अब तक का सबसे गर्म साल था और पहली बार तापमान 1.5°C की प्री-इंडस्ट्रियल लिमिट को पार कर गया. ड्यूसेट कहते हैं कि उनकी यह खोज नई तकनीक नहीं है, बल्कि उन्हें पूराने कॉन्सेप्ट से ही प्रेरणा मिली. इसे 70 साल पहले भी बनाया जा सकता था, बस तब इसकी जरूरत नहीं थी.

वह मानते हैं कि इससे न सिर्फ तापमान के अनुसार घरों की स्थिति बेहतर होगी, बल्कि एनर्जी की खपत भी कम होगी. 2020 में अमेरिका में 88% घरों में एयर कंडीशनिंग थी, जबकि 20 साल पहले यह संख्या 77% थी. इमारतों की कुल वैश्विक ऊर्जा खपत में 30% हिस्सा है. अगर थर्मल कंट्रोल बेहतर हो जाए, तो हीटिंग और कूलिंग की जरूरत कम होगी. ड्यूसेट का अनुमान है कि उनके पेंट से 15% से 30% तक बिजली में बचत हो सकती है.

ड्यूसेट कहते हैं कि यह तकनीक अगले 5 से 10 साल में आम लोगों के लिए उपलब्ध हो सकती है, पर यह इस पर निर्भर करेगा कि लोग इसे कैसे अपनाते हैं.