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Anita Success Story: मुजफ्फरपुर की अनीता ने 13 साल की उम्र में शुरू किया मधुपालन, आज NCERT की किताब में पढ़ाई जाती इस ‘हनी गर्ल’ की कहानी

मुजफ्फरपुर जिले के पटियासा गांव की रहने वाली अनीता आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. अनीता ने मजह 13 साल की उम्र में मधुपालन शुरू किया था. आज NCERT की किताब में इस ‘हनी गर्ल’ की कहानी पढ़ाई जाती है. आप जानिए अनीता की संघर्ष से सफलता तक की कहानी.

Anita Success Story Anita Success Story
हाइलाइट्स
  • मुजफ्फरपुर जिले के पटियासा गांव की रहने वाली हैं अनीता 

  • पिता दूसरे के खेतों में करते थे मजदूरी

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के पटियासा गांव की रहने वाली अनीता की कहानी संघर्ष, मेहनत और हौसले की मिसाल है. साल 2002 में अनीता के गांव पटियासा  में मधुपालक लीची के बाग में बॉक्स लगाने आते थे. गांव के दूसरे बच्चों के साथ अनीता भी हनी बॉक्स को देखने जाती थी. इसी दौरान मधु पालकों से अनीता ने दो बॉक्स लिया और उसी दो बॉक्स से मधुपालन शुरू किया. इसके बाद कुछ परेशानी होने लगी तो पूसा कृषि विश्विद्यालय से ट्रेनिंग लिया फिर धीरे धीरे मधुपालन को बढ़ाते गईं.

नहीं मानी हार 
अनीता के पारिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी. अपने दोनों भाई से बड़ी अनीता पर पूरी जिम्मेदारी थी लेकिन अनिता ने हार नहीं मानी और पूरी मेहनत से मधुपालन के काम में लगी रहीं. मजदूरी कर परिवार चलाने वाले पिता की बेटी अनीता ने महज 13 वर्ष की उम्र में मधुपालन शुरू किया और आज उनकी सफलता की कहानी देशभर के बच्चे NCERT की चौथी कक्षा की इंग्लिश बुक में पढ़ रहे हैं.

यूनिसेफ तक होने लगी अनीता की चर्चा 
अनीता को मधुपालन में शुरुआती दौर में दिक्कतें आईं. मधुमक्खियां मरने लगीं, तो अनीता ने पूसा कृषि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण लिया और अपने काम को वैज्ञानिक तरीके से आगे बढ़ाया. अनीता ने गांव के लीची बाग से निकलकर दूसरे राज्यों के जामुन, सरसों, तुलसी और घने जंगलों तक मधुमक्खियों के बॉक्स लगाकर अलग-अलग किस्म का शहद तैयार किया. शुरुआत में शहद 90 से 100 रुपए में बिकता था, लेकिन धीरे-धीरे बॉक्स की संख्या बढ़ती गई. जब मधुमक्खी बॉक्स की संख्या करीब 500 पहुंची तो अनीता की चर्चा प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर और यूनिसेफ तक होने लगी.

आज दे रहीं कई लोगों को रोजगार 
आज अनीता कई लोगों को रोजगार दे रही हैं. उन्होंने अपने घर पर हनी प्रोसेसिंग यूनिट लगाई है और ANITA’S ब्रांड नाम से लीची, जामुन, सरसों और तुलसी का शहद ग्रामीण बाजार, सरकारी मेलों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेच रही हैं.

अनीता का अब क्या है सपना 
अनीता ने बताया कि जब मैं करीब 13 साल की थी, तब हमारे गांव में मधुपालक आते थे. हम बच्चे उनकी मदद करते थे और वे हमें शहद खिलाते थे. जाते वक्त मैंने उनसे दो मधुमक्खी बॉक्स ले लिए. शुरुआत में परेशानी हुई, तो पूसा कृषि विश्वविद्यालय से ट्रेनिंग ली. आज मेरे पास 500 बॉक्स हैं, जिनकी देखभाल चार लोग करते हैं. जब मुझे पता चला कि मेरी कहानी NCERT की चौथी कक्षा की इंग्लिश किताब में छपी है, तो बहुत खुशी हुई. अब सपना है कि ANITA’S हनी एक बड़ी कंपनी बने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार दे.

(मुजफ्फरपुर से मणि भूषण शर्मा की रिपोर्ट)