केरल में रहने वाला एक 15 महीने का बच्चा स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नाम की एक दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा है. बच्चे के माता-पिता सारंग मेनन और अदिति नायर ने बच्चे की बीमारी के इलाज के लिए क्राउडफंडिंग करने का फैसला किया. बच्चे का नाम निर्वाण है और इस साल जनवरी में उन्हें एसएमए नाम की इस बीमारी का पता लगा.
कपल को उस समय सबसे ज्यादा आश्चर्य हुआ जब एक अंजान शख्स ने बिना नाम जाहिर किए बच्चे के इलाज के लिए 11 करोड़ रुपये दान किए. सारंग मेनन और अदिति नायर केरल के पलक्कड़ के रहने वाले हैं लेकिन मुंबई में रहते हैं. जानकारी के अनुसार बच्चे के इलाज की कीमत करीब 17.5 करोड़ रुपये है. नोवार्टिस (दवा की कंपनी) की जोल्गेन्स्मा इस बीमारी के लिए एक बार की दवा है.
कैसे जुटे पैसे?
उन्होंने क्राउड फंडिंग शुरू की. 19 फरवरी तक उनके अकाउंट में 5.42 करोड़ रुपये इकठ्ठा हो चुके थे. 20 फरवरी को परिवार ने अपने फेसबुक पेज पर घोषणा की कि एक किसी अनजान डोनर ने बेटे के इलाज के लिए 14 लाख डॉलर उनके अकॉउंट में जमा कराये हैं. अब तक निर्वाण के इलाज के लिए अनजान शख्स के दान के साथ कुल 72,000 लोगों ने दान दिया है. सारंग और अदिति ने अंजान शख्स को धन्यवाद दिया और बताया कि अब उन्हें इलाज के खर्च को पूरा करने के लिए केवल 80 लाख रुपये की जरूरत है. इसके अलावा उन्होंने अपने बच्चे के लिए जरूरी दवाओं पर जीएसटी से छूट की मांग को लेकर राज्य मंत्री वीना जॉर्ज और केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की.
पिता ने कहा धन्यवाद
निर्वाण के पिता सारंग ने मीडिया से कहा, ‘हम नहीं जानते कि पैसे किसने दान किए हैं, यह हमारे लिए चमत्कार जैसा है. जब हमने मिलाप संगठन से संपर्क किया कि इतनी बड़ी राशि किसने दान किया है तो उन्होंने बताया कि डोनर अपना नाम उजागर नहीं करना चाहता है.’बता दें कि एसएमए (SMA) एक अनुवांशिक बीमारी है जो मोटर न्यूरॉन्स (Motor Neurons) की गिरावट के कारण मांसपेशियों को कमजोर और शरीर के बढ़ने की गति को कम कर देता है. यह बीमारी दैनिक गतिविधि जैसे कि सांस लेना और भोजन निगलने को काफी कठिन कर देता है. अगर इसका समय से इलाज न हो तो व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है.
उन्होंने कहा कि दुनिया में मानवता अभी भी मौजूद है. दुनिया के किसी कोने में बैठे किसी व्यक्ति के लिए हमारे बच्चे के लिए ऐसा करना बहुत सुखद है. वह व्यक्ति कोई भी हो, हमारे लिए वो भगवान के समान है.