
आज हम आपको एक ऐसे अफसर की कहानी बता रहे हैं जो दोनों आंखों से देख नहीं सकते, लेकिन उनकी कार्यशैली और मेहनत ने सबको चौंका दिया है. यूपी के चित्रकूट धाम, बांदा मंडल के कमिश्नर अजीत सिंह की पहचान एक सख्त और कर्मठ अफसर के रूप में है. जहां भी तैनात होते हैं, वहां के अफसरों की नींद उड़ा देते हैं.
कौन हैं अजीत सिंह?
अजीत सिंह हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के रहने वाले हैं. उनके परिवार में कई लोग डॉक्टर और इंजीनियर हैं. उन्होंने 2009 में UPSC परीक्षा पास की और IAS बने. इससे पहले वो 2003 से 2007 तक गांव में टीचर थे, फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़े और पढ़ाया भी. रेलवे की नौकरी छोड़ दी और B.Ed और NET परीक्षा पास की.
दिव्यांग होने के बावजूद मिसाल बने
अजीत सिंह दोनों आंखों से देख नहीं सकते, लेकिन उन्होंने इसे कभी अपनी कमजोरी नहीं माना. उनका मानना है कि काम तो दिमाग से होता है, आंखें केवल सूचना देती हैं. वह ब्रेल लिपि के जरिए प्रशासनिक काम करते हैं और टेक्नोलॉजी का बेहतरीन इस्तेमाल करते हैं.
वह सुबह 9:30 से शाम 6 बजे तक ऑफिस में काम करते हैं. कभी-कभी घर जाकर लंच करते हैं. वह रात में 1 बजे सोते हैं, और सुबह 5 बजे उठ जाते हैं. पूरे दिन में करीब 14 घंटे से ज़्यादा काम करते हैं. आम जनता की समस्याओं को प्राथमिकता देते हैं और तेज़ी से समाधान करते हैं. किसी भी शिकायती पत्र पर तीन दिन में रिपोर्ट मांगते हैं और अफसरों से सीधे जवाब लेते हैं.
काम में ईमानदारी और तेज़ी
उनकी कार्यशैली इतनी प्रभावशाली है कि उनके ऑफिस में आम लोगों की सबसे ज्यादा भीड़ होती है. वह कोर्ट के मामलों का सबसे ज़्यादा निस्तारण करने वाले अफसरों में शामिल हैं. काम को तेज़ी से करने का उनका तरीका यही है कि एक काम जल्दी खत्म हो, ताकि अगला शुरू किया जा सके.
बुंदेलखंड में विकास का विजन
अजीत सिंह का मानना है कि सीएम योगी के नेतृत्व में बुंदेलखंड में बहुत बदलाव आया है. उन्होंने बताया कि यहां की लोकल चीजों जैसे कठिया गेहूं, शजर स्टोन, बकरी के दूध आदि का इस्तेमाल कर लोगों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है.
युवा पीढ़ी के लिए संदेश
अजीत सिंह कहते हैं कि समाज में बदलाव लाना है तो युवाओं के जरिए लाना होगा. उन्होंने कई सेमिनारों में हिस्सा लिया है ताकि युवाओं को प्रेरित कर सकें. उनका मानना है कि सकारात्मक सोच और मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.
(सिद्धार्थ गुप्ता की रिपोर्ट)