
नागपुर के कुराड़ी इलाके में CSIR-NEERI के वैज्ञानिक लाल सिंह ने बंजर जमीन को हरा-भरा बना दिया है. उन्होंने 1500 हेक्टेयर जमीन पर 5 लाख से ज्यादा पौधे लगाए हैं. यह इलाका पहले थर्मल पावर प्लांट के फ्लाई एश से बंजर हो गया था. लेकिन अब यहां बांस के जंगल और कई तरह के पौधे उगाए गए हैं. इसके लिए उन्होंने खास तकनीक- इको रेजुवेनेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया.
क्या होती है इको- रेजुवेनेशन तकनीक?
CSIR के वैज्ञानिक लाल सिंह ने आधुनिक तकनीक- इको रेजुवेनेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया. इस तकनीक का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों की मरम्मत और पुनरुत्थान करना होता है.
इसके पांच पैरामीटर्स होते हैं:
इन सभी पैरामीटर्स को ध्यान में रखकर खास किस्म के पौधे लगाए जाते हैं. यहां पर बांस की किस्म लगाई गई, जिसमें सफलता मिली.
क्या-कुछ बदला?
पहले यह जमीन चांद की सदा जैसी सफ़ेद दिखाई देती थी, लेकिन अब यहां हरी घास और पेड़-पौधे हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि पहले यहां कुछ भी उगाना संभव नहीं था, लेकिन अब यह इलाका हरा-भरा हो गया है.
लाल सिंह ने बताया कि उन्होंने बांस की विशेष प्रजातियों का चयन किया, जो तेजी से बढ़ती हैं और कम समय में अच्छी ऊंचाई प्राप्त कर लेती हैं. इसके अलावा, उन्होंने नीम, करंज और अन्य देशी पेड़ भी लगाए हैं.
बंजर जमीन हुई उपजाऊ
टीम ने मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्राकृतिक सामग्रियों का इस्तेमाल किया. उन्होंने बताया, "उनका मकसद सिर्फ पेड़ उगाना नहीं था, बल्कि पहले मिट्टी को स्वस्थ बनाना था."
इस परियोजना के तहत, 1500 हेक्टेयर जमीन पर 5 लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं. अब यह इलाका हरा-भरा हो गया है और यहां पक्षियों की वापसी भी हो गई है.